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भारत में ‘सजा-ए-मौत’ का बढ़ता ग्राफ: जानिए किस राज्य में सबसे...
भारत में मृत्युदंड को लेकर बहस लगातार जारी है। जहां एक ओर निचली अदालतों में मौत की सजा सुनाए जाने की संख्या बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने लगातार तीसरे वर्ष (5 मार्च 2025 तक) किसी भी मृत्युदंड की पुष्टि नहीं की। हाल ही में, रमेश ए. नायका बनाम रजिस्ट्रार जनरल मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने अपने दो नाबालिग बच्चों की हत्या के दोषी व्यक्ति (पिता) की मौत की सजा को बिना किसी छूट के आजीवन कारावास में बदल दिया।