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BLOG: ‘सरदार खान’ की भाषा क्यों बोलने लगे हैं कन्हैया कुमार?
मनोज झा ने उस दौर में राजद को चुना जब बिहार की एक बहुत बड़ी आबादी लालू प्रसाद और उनकी पार्टी को अछूत की तरह देखती थी। मीडिया में राजद का हस्तक्षेप या जगह शुन्य के बराबर था। भागलपुर दंगों को लेकर मनोज झा ने जितनी लड़ाई लड़ीं वो बातें पब्लिक डोमेन में है। कन्हैया को भक्त चरण दास की भक्ति से पहले यह भी जानना चाहिए था कि वो जैसे यूनिवर्सिटी के छात्र होने पर गर्व करते हैं, वैसे ही यूनिवर्सिटी में मनोज झा अध्यापक हैं। राजनीति के मैदान में भी दोनों की ही तुलना वैसी ही है।