
“हर घर नल का जल” निश्चय के तहत बिहार के आर्सेनिक, फ्लोराइड एवं आयरन प्रभावित 30,207 वार्डों के 97% से अधिक घरों में अब सुरक्षित पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित कर ली गयी है। इस संबंध में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री श्री नीरज कुमार सिंह ने बताया कि “राज्य के कुल 30,207 जल गुणवत्ता प्रभावित वार्डों में से 29,779 वार्ड अब हर घर नल का जल योजना से आच्छादित हो चुके हैं। योजनाओं के माध्यम से इन वार्डों में 46.51 लाख से अधिक परिवारों को सुरक्षित एवं शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो रहा है। शेष वार्डों को शीघ्र ही हर घर नल का जल से आच्छादित करने हेतु कार्य प्रगति पर है, जिससे कुल 47.68 लाख गुणवत्ता प्रभावित वार्डो के परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।”
मंत्री ने बताया कि राज्य के सभी 4,709 आर्सेनिक प्रभावित वार्डों में हर घर नल का जल का कवरेज सुनिश्चित किया जा चुका है। इसी प्रकार, 3,789 फ्लोराइड प्रभावित वार्डों में से 3,784 वार्ड योजना के अंतर्गत आ चुके हैं। आयरन प्रभावित 21,709 वार्डों में से 21,286 वार्डों में भी अब सुरक्षित जल आपूर्ति उपलब्ध है। इन वार्डों में कुल 46.51 लाख नल-जल कनेक्शन कार्यरत हैं, जबकि कुल प्रभावित परिवारों की संख्या 47.68 लाख है।
मंत्री ने बताया कि लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा जल गुणवत्ता की प्रभावी निगरानी हेतु वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग प्रोटोकॉल लागू किया गया है। इस प्रोटोकॉल के तहत आर्सेनिक एवं फ्लोराइड प्रभावित क्षेत्रों में प्रत्येक दो माह में जल परीक्षण किया जाता है। आयरन प्रभावित क्षेत्रों में चार माह में एक बार तथा सामान्य जल गुणवत्ता वाले क्षेत्रों में न्यूनतम दो बार वार्षिक जल परीक्षण किया जाता है। साथ ही उपभोक्ताओं को भारतीय मानक बीआईएस: 10500:2012 के अनुरूप स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य, जिला एवं प्रमंडल स्तर पर स्थापित जल जाँच प्रयोगशालाओं में 15 मानकों पर जल गुणवत्ता की नियमित निगरानी की जा रही है। वर्तमान में राज्य में 75 अवर प्रमंडलीय, 38 जिला स्तरीय और एक राज्य स्तरीय जल जाँच प्रयोगशाला कार्यरत हैं। राज्य की 15 जिला जल परीक्षण प्रयोगशालाओं को एनएबीएल (NABL) की मान्यता प्राप्त हो चुकी है।
इसके अलावा लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा राज्य के 11 जिलों में 14 बहुग्रामीय जलापूर्ति योजनाओं का भी निर्माण किया गया है। बहुग्रामीय जलापूर्ति योजनाओं के तहत फ्लोराइड एवं आर्सेनिक प्रभावित क्षेत्रों में जल शोधन संयंत्रों द्वारा शुद्ध पेयजल तैयार कर निकटवर्ती गांवों में सुरक्षित एवं उच्च गुणवत्ता वाला जल उपलब्ध कराया जा रहा है।