19 जुलाई से शुरू हुए मॉनसून सत्र में बस 9 दिन संसद चली है. पिछले 7 दिनों की कार्यवाही की बात करें तो लोकसभा 4 घंटे और राज्यसभा सिर्फ 8.2 घंटे ही चल पाई है. लोकसभा में 38 घंटे हंगामे की भेंट चढ़े, जबकि राज्यसभा में 33.8 घंटे स्वाहा हो गए. इस दौरान दोनों सदनों को मिलाकर सरकारी खजाने के 53.85 करोड़ रुपये बर्बाद हुए हैं. सदन की महज एक घंटे की कार्यवाही का खर्च लगभग ढाई लाख रुपये है. वो पैसे जनता के हैं , मगर जन प्रतिनिधियों को परवाह नहीं । जहां विपक्ष अड़ा है, वहीं सरकार भी अड़ी है कि विपक्ष को सियासी स्कोर नहीं करने देंगे.

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