जमीन बचाने को लेकर जयपुर के किसानों ने जमीन समाधि आंदोलन किया है। नींदड़ बचाओ संघर्ष समिति के तहत किसान जमीन खोदकर धरने पर बैठे हुए हैं। जयपुर के चौमू राजमार्ग स्थित नींदड़ की सीमा से लगी 1350 बीघा भूमि को जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने अधिग्रहण करने की योजना बनाई थी। कुछ दिनों पहले उसने इस योजना पर कार्रवाई भी शुरु कर दी। जिसके विरोध में किसानों और ग्रामीणों ने भूमि में समाधि लेकर विरोध करने का फैसला किया है।
जयपुर के नींदड़ गांव के किसानों का ये अनोखा विरोध जमीन अधिग्रहण के उस फैसले के खिलाफ है, जिसमें किसानों से उनकी जमीन लेकर जेडीए सरकारी आवास बनाना चाहता है । जेडीए के अधिग्रहण के खिलाफ किसान लामबंद होकर समाधि पर बैठ गए हैं। उनका कहना है कि जान भले चली जाए लेकिन वो अपनी जमीन का एक इंच टुकड़ा भी सरकार को नहीं देंगे।
किसानों का आरोप है कि, वो पहले भी जमीन देने से मना कर चुके हैं लेकिन जेडीए उनके साथ जोर-जबरदस्ती कर रहा है। जिस 1350 बीघा जमीन को प्राधिकरण लेना चाहता है वो बहुत उपजाऊ है और उनकी रोजी-रोटी का एक मात्र जरिया है।
किसानों का ये प्रदर्शन यूं को काफी लंबे वक्त से चल रहा है, लेकिन समाधि में बैठने का फैसला उन्होंने कुछ दिन पहले गांधी जयंती के दिन लिया है। इस अनोखे विरोध में किसान गढ्ढे खोदकर उसके अंदर बैठ जा रहे है। यह विरोध मेघा पाटेकर के बांध के विरोध में किए जा रहे जल समाधि के जैसा ही है। आंदोलन के दूसरे दिन महिलाओं ने भी इस विरोध में हिस्सा लिया।
हालांकि इस विरोध पर राज्य सरकार ने अब तक कोई ध्यान नहीं दिया है। इस वजह से किसानों ने सरकार पर संवेदनहीनता का आरोप लगाया है।