Navratri 2022: माता रानी के जयकारों के साथ भक्त कालका जी से घर लेकर उनकी पवित्र जोतदिल्ली के प्रसिद्ध सिद्धपीठ कालका जी मंदिर से करोड़ों भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है।यही वजह है कि नवरात्र शुरू होने से पूर्व यानी बरसों से चली आ रही जोत ले जाने की परंपरा का निर्वहन भक्त करते हैं। कालकाजी मंदिर के महंत स्वामी सुरेंद्रनाथ अवधूत के अनुसार, नवरात्रों के समय मंदिर से जोत ले जाकर अपने घरों पर जोत जलाकर व्रत रखने की परंपरा सदियों पुरानी है।
यह मंदिर महाभारत कालीन है। उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार, मंदिर में पांडवों ने भी पूजा की थी।तब से अभी तक ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं है कि मंदिर को इस तरह से भक्तों के लिए बंद रखा गया हो। ग्रहण के समय भी मंदिर को बंद नहीं किया जाता।रविवार को नोएडा, जेवर, सूरजपुर, पलवल और हरियाणा के दूर-दराज इलाकों से भक्त माता रानी की जोत को लेकर नाचते-गाते अपने घर पर लाए।इस दौरान महामाया फ्लाईओवर, कालिंदी कुंज, सरिता विहार और मथुरा रोड पर भक्तों की टोलियों को माता रानी की जोत लाते देखा गया।
Navratri 2022: मनोकामना होती है पूर्ण
मां आदिशक्ति के काली रूप को समर्पित श्री कालकाजी मंदिर, जिसे जयंती पीठ या मनोकामना सिद्ध पीठ के नाम भी पुकारा जाता है, भक्तों के बीच लोकप्रिय है। वहीं मनोकामना का शाब्दिक अर्थ है इच्छा, सिद्ध का अर्थ है प्रामाणिकता के साथ पूर्ण, और पीठ का अर्थ है तीर्थ। अतः यह पवित्र मंदिर माना जाता है, जहां भक्तों को अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए मां कालिका देवी का आशीर्वाद मिलता है।ऐसी मान्यता है कि जो भक्त पूरे श्रद्धा-भाव से देवी कालिका का पूजा करता है, नवरात्रि के 9 दिन उनकी पावन जोत को अपने घर लेकर जाता है।देवी मां उस पर विशेष कृपा दृष्टि करतीं हैं। उसके सभी कष्ट मिटते हैं।
Navratri 2022: जानिए कालिका जी मंदिर के बारे में
अरावली पर्वत श्रृंखला के सूर्यकूट पर्वत पर विराजमान कालकाजी मंदिर के नाम से विख्यात ‘कालिका मंदिर’ देश के प्राचीनतम सिद्धपीठों में से एक है। जहां नवरात्र में बड़ी तादाद में लोग माता का दर्शन करने पहुंचते हैं। इस पीठ का अस्तित्व अनादि काल से है। माना जाता है कि हर काल में इसका स्वरूप बदला। मान्यता है कि इसी जगह आद्यशक्ति माता भगवती ‘महाकाली’ के रूप में प्रकट हुईं और असुरों का संहार किया। तब से यह मनोकामना सिद्धपीठ के रूप में विख्यात है।जानकारी के अनुसार मौजूदा मंदिर बाबा बालक नाथ ने स्थापित किया। उनके कहने पर मुगल सम्राज्य के कल्पित सरदार अकबर शाह ने इसका जीर्णोद्धार कराया था।
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