फरवरी का महीना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माना जाता है। इस वर्ष फरवरी माह के अंत तक महाकुंभ भी रहेगा, जिससे इस महीने के व्रत और त्योहारों का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। विशेष रूप से इस माह में कुछ पावन तिथियों पर महाकुंभ का अमृत स्नान किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं के लिए यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
फरवरी में बसंत ऋतु की शुरुआत होती है, जिसमें प्रकृति नवीन रंगों से भर जाती है। खेतों में सरसों की फसलें लहलहाने लगती हैं और वातावरण में उत्सव का माहौल बन जाता है। धार्मिक दृष्टि से यह महीना कई महत्वपूर्ण व्रतों और त्योहारों से परिपूर्ण है, जिनमें बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, माघ पूर्णिमा और जया-विजया एकादशी प्रमुख हैं।
फरवरी व्रत त्योहार 2025 (February Vrat Tyohar 2025 List)
1 फरवरी 2025 – विनायक चतुर्थी
2 फरवरी 2025 – बसंत पंचमी
4 फरवरी 2025 – नर्मदा जयंती
8 फरवरी 2025 – जया एकादशी
9 फरवरी 2025 – प्रदोष व्रत
12 फरवरी 2025 – माघ पूर्णिमा व्रत, कुंभ संक्रांति, गुरु रविदास जयंती
13 फरवरी 2025 – फाल्गुन माह प्रारंभ
16 फरवरी 2025 – द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी
20 फरवरी 2025 – शबरी जयंती
21 फरवरी 2025 – जानकी जयंती
24 फरवरी 2025 – विजया एकादशी
25 फरवरी 2025 – प्रदोष व्रत
26 फरवरी 2025 – महाशिवरात्रि
27 फरवरी 2025 – फाल्गुन अमावस्या
बसंत पंचमी:
बसंत पंचमी का पर्व माता सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बच्चों के विद्यारंभ संस्कार के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी पर अबूझ मुहूर्त होने के कारण विवाह, गृह प्रवेश, भूमि पूजन, मुंडन और नए प्रतिष्ठान की शुरुआत के लिए भी यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन महाकुंभ का तीसरा अमृत स्नान भी किया जाएगा।
महाशिवरात्रि:
महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी तिथि को भगवान शिव अग्नि स्तंभ के रूप में प्रकट हुए थे। कहा जाता है कि इस रात में जागरण कर भगवान शिव का पूजन करने से विशेष फल प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों पर शिव कृपा बनी रहती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान किया जाएगा, जिसके बाद कुंभ मेले का समापन होगा।
फरवरी 2025 का यह महीना न केवल आध्यात्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इन व्रतों और त्योहारों का पालन कर श्रद्धालु पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।