बिहार विधानसभा चुनाव के दोनों चरण पूरे होने के बाद महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने अपनी चुप्पी तोड़ी और नतीजों को लेकर भरोसा जताया। उन्होंने कहा कि ज़मीनी स्तर से मिले फीडबैक बेहद उत्साहजनक हैं और इस बार जनता का रुझान स्पष्ट रूप से बदलाव के पक्ष में है। तेजस्वी ने दावा किया कि 1995 के बाद इतनी सकारात्मक लहर उन्होंने पहली बार देखी है।
तेजस्वी यादव ने विश्वास जताया कि 18 नवंबर को राज्य में नई सरकार शपथ लेगी — यह वही तारीख है, जिसका वादा उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान किया था। मीडिया और एग्जिट पोल्स पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि कई बार ऐसे सर्वे मतगणना प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए किए जाते हैं। उनके मुताबिक, इनका उद्देश्य अधिकारियों पर दबाव बनाना होता है ताकि परिणामों की दिशा बदली जा सके।
उन्होंने बताया कि इस बार करीब 72 लाख नए मतदाता जुड़े हैं और हर विधानसभा में औसतन 29,500 अतिरिक्त वोट पड़े हैं। तेजस्वी ने दावा किया कि ये वोट महागठबंधन और बदलाव की राजनीति के समर्थन में डले हैं। उन्होंने प्रशासन को आगाह किया कि मतगणना में किसी तरह की ढिलाई या गड़बड़ी स्वीकार नहीं की जाएगी।
तेजस्वी यादव ने कहा, “हमारे प्रतिनिधि हर केंद्र पर सतर्क रहेंगे। जनता का जनादेश किसी के दबाव में नहीं आने दिया जाएगा।” उन्होंने 2020 के चुनावों का ज़िक्र करते हुए कहा कि तब भी कुछ सीटों पर गिनती को लेकर सवाल उठे थे, लेकिन इस बार जनता पहले से ज़्यादा सजग है और माहौल पूरी तरह से अलग है।
आरजेडी की ओर से भी आधिकारिक बयान जारी किया गया है, जिसमें कहा गया है कि “जमीन से मिलने वाली जानकारी साफ तौर पर महागठबंधन की जीत का संकेत दे रही है।” पार्टी ने यह भी जोड़ा कि बिहार की जनता अब मीडिया सर्वे या प्रोपगैंडा से प्रभावित नहीं होगी।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग 14 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे घोषित करेगा। इसी दिन यह साफ हो जाएगा कि जनता ने नीतीश कुमार और एनडीए पर एक बार फिर भरोसा जताया है या इस बार महागठबंधन और तेजस्वी यादव को मौका देने का मन बना लिया है। साथ ही, इस चुनाव में पहली बार उतर रही प्रशांत किशोर की पार्टी ‘जनसुराज’ का प्रदर्शन भी देखने लायक रहेगा।









