संभल दंगे की जांच कर रही कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंप दी है। रिपोर्ट में हैरान कर देने वाले तथ्य सामने आए हैं। आज़ादी के समय यानी 1947 में जहां संभल में हिंदू आबादी करीब 45% थी, वहीं अब घटकर यह केवल 20% रह गई है। कमेटी ने तुष्टिकरण और बार-बार हुए दंगों को इस डेमोग्राफिक बदलाव की बड़ी वजह बताया है।
रिपोर्ट के बड़े निष्कर्ष:
- आज संभल में हिंदू आबादी सिर्फ 20%
- 1947 के बाद से अब तक 15 बड़े दंगे
- संभल आतंकवादी संगठनों का ठिकाना बना
- अमेरिका ने मौलाना सनाउल हक को आतंकवादी घोषित किया
- अवैध हथियार और नारकोटिक्स गैंग सक्रिय
- हिंदू मोहल्लों पर हमले की साजिश, बाहर से बुलाए गए दंगाई
- पुलिस की मौजूदगी से टला बड़ा नरसंहार
पूर्वनियोजित थी हिंसा
रिपोर्ट के मुताबिक, 22 नवंबर 2024 को सांसद जिया-उर-रहमान बर्क के भाषण ने तनाव को हवा दी। उन्होंने नमाज़ियों से कहा था – “हम इस देश के मालिक हैं, नौकर-ग़ुलाम नहीं। मस्जिद थी, मस्जिद है और हमेशा रहेगी। अयोध्या जैसा यहां नहीं होने देंगे।”
इसके बाद 24 नवंबर को तुर्क और पठान समुदायों के बीच संघर्ष भड़क गया। फायरिंग में 4 लोगों की मौत हुई। रिपोर्ट का दावा है कि इस हिंसा के पीछे सांसद जिया-उर-रहमान बर्क, विधायक के बेटे सुहैल इक़बाल और इंतेजामिया कमेटी के पदाधिकारी मुख्य रूप से शामिल थे।