समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामजी लाल सुमन ने हाल ही में राणा सांगा को लेकर की गई एक विवादित टिप्पणी के चलते विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं। हालांकि, सपा प्रमुख अखिलेश यादव उनके समर्थन में डटे हुए हैं और आज वे रामजी लाल से मुलाकात करने आगरा पहुंचे।
इस दौरान अखिलेश ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पार्टी के नेता से मिलने वे ज़रूर आते, क्योंकि जो कुछ हुआ, वह केवल एक सामान्य घटना नहीं थी। उन्होंने करणी सेना द्वारा राणा सांगा की जयंती पर आयोजित रैली को लेकर सवाल उठाए और कहा कि वहां खुलेआम तलवारें और बंदूकें लहराई गईं। इस तरह के ‘शांतिपूर्ण’ आयोजनों को सरकार से अनुमति मिली थी, लेकिन जो वीडियो सामने आए हैं, वे साफ इशारा करते हैं कि इस आयोजन का उद्देश्य कुछ और ही था।
सोची-समझी साजिश का आरोप
अखिलेश यादव ने कहा कि रामजी लाल सुमन के घर पर जो हमला हुआ, वह अचानक नहीं बल्कि एक पूर्वनियोजित हमला था। उन्होंने आरोप लगाया कि इस घटना के पीछे सरकार की मिलीभगत है और कहा कि योगी सरकार के एक सलाहकार और एक निर्दलीय विधायक को दिल्ली बुलाकर पूरे घटनाक्रम को अंजाम दिया गया।
पीडीए को दबाने की कोशिश
सपा प्रमुख ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा लगातार पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग को डराने की कोशिश की जा रही है। हाल ही में हुए उपचुनावों में भी इसी डर का सहारा लिया गया। प्रयागराज की घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एक दलित युवक की हत्या के बाद उसका शव जला दिया गया, लेकिन सरकार चुप बैठी रही।
अखिलेश बोले – मुझे भी धमकियां मिल रही हैं
अपने बयान में अखिलेश यादव ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें खुद जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। उन्होंने कहा कि यह सरकार केवल सामंतवादी सोच वालों की सुरक्षा करती है और पीड़ितों की सुनवाई नहीं होती। सपा कार्यकर्ताओं की शिकायतें तक अनसुनी कर दी जाती हैं।
सत्ता और कानून व्यवस्था पर सवाल
अखिलेश ने पुलिस और STF में ऊंची जातियों के प्रभुत्व की बात उठाते हुए कहा कि थानों और अन्य सुरक्षा एजेंसियों में पीडीए वर्ग की तैनाती नहीं हो रही है। आगरा में जो कुछ हुआ, उससे शहर की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है। उन्होंने स्थानीय लोगों से आग्रह किया कि वे सच्चाई का साथ दें।