PK on Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में करारी हार के बाद जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (PK) ने पहली बार खुलकर प्रतिक्रिया दी है। तीन साल की पदयात्रा और गहन अभियान के बावजूद JSP एक भी सीट नहीं जीत सकी। चुनाव नतीजों के बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि वह जनता का भरोसा नहीं जीत पाए, लेकिन उनकी पार्टी ने कभी वोट खरीदने या समाज में जहर फैलाने जैसी राजनीति नहीं की।
उन्होंने कहा, “हमने ईमानदारी से प्रयास किया, लेकिन वह पूरी तरह असफल रहा। इसे स्वीकार करने में कोई हर्ज नहीं है। सिस्टम में बदलाव तो दूर, हम सत्ता परिवर्तन भी नहीं करा सके। हालांकि, बिहार की राजनीति में बदलाव की दिशा में हमने कुछ न कुछ योगदान जरूर दिया है। हमारी कोशिशों में, हमारी सोच में या हमारी बात जनता तक पहुंचाने के तौर–तरीकों में कहीं न कहीं कोई कमी रही होगी, तभी जनता ने हमें नहीं चुना। जनता ने हम पर भरोसा नहीं दिखाया, इसकी पूरी ज़िम्मेदारी मेरी है। बिहार के लोगों का विश्वास जीत पाने में असफल रहने की 100% ज़िम्मेदारी मैं स्वयं लेता हूं।”
पीके ने कहा, “मैं जितनी मेहनत पिछले तीन वर्षों में करता रहा हूं, अब उससे दोगुनी मेहनत करूंगा। पीछे हटने का सवाल ही नहीं है। बिहार को बेहतर बनाने के संकल्प को पूरा किए बिना मैं रुकने वाला नहीं हूं।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं बिहार के लोगों को यह समझाने में असफल रहा कि उन्हें किस आधार पर वोट देना चाहिए और क्यों एक नई व्यवस्था की जरूरत है। इसी आत्मस्वीकार के तौर पर मैं 20 नवंबर को गांधी भीतिहरवा आश्रम में एक दिन का मौन व्रत रखूंगा।”
“हमने जाति का जहर नहीं फैलाया।”
“हमने हिंदू–मुस्लिम की राजनीतिक आग नहीं भड़काई।”
“हमने लोगों को पैसे देकर उनका वोट नहीं खरीदा।”
243 में से 238 सीटों पर उतारे उम्मीदवार, एक भी सीट नहीं मिली
बता दें कि चुनाव से पहले प्रशांत किशोर राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव का दावा कर रहे थे। जन सुराज पार्टी ने 243 में से 238 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, लेकिन कोई भी उम्मीदवार जीत नहीं सका। पार्टी को उम्मीद के मुताबिक जनता का समर्थन प्राप्त नहीं हुआ।
PK का दावा उलटा पड़ा: JDU को मिली 85 सीटें
चुनाव से पहले प्रशांत किशोर ने दावा किया था कि यदि जेडीयू को 25 से अधिक सीटें मिलीं तो वह राजनीति छोड़ देंगे। नतीजों ने इस दावे को पूरी तरह गलत साबित कर दिया। जेडीयू को 85 सीटों पर जीत मिली, जो एनडीए की भारी बहुमत वाली जीत का अहम हिस्सा रही।
जन सुराज की इस चुनावी विफलता ने प्रशांत किशोर की रणनीति, संगठन और दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जबकि PK अब दोगुनी मेहनत कर आगे बढ़ने की बात कह रहे हैं।









