पहलगाम आतंकी हमले पर रॉबर्ट वाड्रा का बयान: “धार्मिक भेदभाव ने बढ़ाई कट्टरता, देश को मिलकर देना होगा जवाब”

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पहलगाम आतंकी हमले पर रॉबर्ट वाड्रा का बयान
पहलगाम आतंकी हमले पर रॉबर्ट वाड्रा का बयान

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले पर देश भर में राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं तेज़ हैं। जहां एक ओर सभी राजनीतिक दलों ने हमले की निंदा की है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का बयान सुर्खियों में है। उन्होंने आतंकियों की सोच और देश के भीतर धार्मिक माहौल को एक-दूसरे से जोड़ते हुए बयान दिया, जो विवादों में घिर गया है।

रॉबर्ट वाड्रा ने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि पहलगाम जैसी घटनाएं तभी रुकेंगी जब देश में हर धर्म के नागरिक खुद को बराबर और सुरक्षित महसूस करेंगे। उन्होंने कहा, “इस आतंकी हमले में जान गंवाने वाले निर्दोष लोगों को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि। लेकिन हमें ये भी सोचना होगा कि आखिर ऐसी सोच आती कहां से है?”

वाड्रा ने आगे कहा कि जब देश के अंदर कुछ समुदायों को निशाना बनाया जाता है, मस्जिदों में नमाज़ पढ़ने से रोका जाता है या धार्मिक स्थलों पर सर्वे किए जाते हैं, तो एक असंतुलन पैदा होता है। “संभल जैसे इलाकों में मस्जिदों की जांच इस उम्मीद में की जा रही है कि कोई मूर्ति मिल जाए — ये सब धार्मिक ध्रुवीकरण का हिस्सा लगता है। और जब बाबर या औरंगज़ेब जैसे ऐतिहासिक शासकों के नामों का राजनीतिक इस्तेमाल होता है, तो इससे अल्पसंख्यकों को चोट पहुंचती है।”

वाड्रा ने आतंकी हमले को सीधे तौर पर धार्मिक असमानता और तनाव से जोड़ा। उन्होंने कहा कि पहचान देखकर गोली चलाने जैसी घटनाएं ये बताती हैं कि आतंकी भी मानते हैं कि किसी समुदाय के साथ अन्याय हो रहा है। “अगर देश के कुछ लोग खुद को दबा हुआ और असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है। प्रधानमंत्री को खुद सामने आकर एक स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि भारत में सभी धर्मों के लोग समान हैं और कोई भेदभाव नहीं होगा।”

उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में राजनीति और धर्म को एक-दूसरे से अलग रखना बेहद ज़रूरी है। “जब तक ये नहीं होगा, तब तक नफरत की ये चिंगारियां आग बनकर फैलती रहेंगी।”

रॉबर्ट वाड्रा के इस बयान पर सोशल मीडिया पर मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कुछ लोग इसे एक सच्चाई की ओर इशारा मानते हैं तो कुछ इसे एक राजनीतिक बयानबाज़ी करार दे रहे हैं। लेकिन इतना तो तय है कि पहलगाम हमला केवल एक आतंकी घटना नहीं, बल्कि देश को अपने भीतर झांकने का मौका भी दे रहा है।