भारत अब आतंक के सामने चुप बैठने वाला नहीं है — इसी संदेश को लेकर कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक विशेष प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार, 23 मई 2025 को अमेरिका के लिए रवाना हुआ। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बने माहौल में यह पहल भारत की उस कोशिश का हिस्सा है, जिसमें वह दुनियाभर को यह बताना चाहता है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी नीति क्या है और वह शांति के लिए कितना गंभीर है।
अमेरिका रवाना होने से पहले शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा, “हम डरने वाले नहीं हैं। भारत आतंकवाद से घबराकर चुप नहीं बैठेगा। हम सच को दुनिया के सामने लाएंगे — और यह बताने जाएंगे कि शांति के साथ जीना हमारा संकल्प है।”
थरूर ने साफ किया कि यह कोई राजनीतिक बहस या प्रचार नहीं है, बल्कि एक संवाद की कोशिश है — “हम दुनिया को अपना अनुभव साझा करने जा रहे हैं। यह बताने जा रहे हैं कि भारत ने क्या सहा है, क्या किया है, और आगे हम क्यों उसी दिशा में बढ़ते रहेंगे।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि, “हम वहाँ बहस के लिए नहीं, संवाद और समझ बढ़ाने के लिए जा रहे हैं।”
इस डेलिगेशन में थरूर के साथ कई प्रमुख नेता शामिल हैं — डॉ. सरफराज अहमद, शांभवी, जीएम हरीश बालयोगी, शशांक मणि त्रिपाठी, भुवनेश्वर कलिता, तेजस्वी सूर्या और मिलिंद देवड़ा। यह टीम अमेरिका के अलावा पनामा, ब्राज़ील और कोलंबिया की यात्रा भी करेगी।
दरअसल, भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आतंकवाद और खासकर पाकिस्तान की भूमिका को अंतरराष्ट्रीय मंच पर उजागर करने के लिए एक बड़ी कूटनीतिक रणनीति बनाई है। इसके तहत संसद के 59 सदस्यों को सात अलग-अलग समूहों में विभाजित कर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भेजा गया है।
भारत के 7 वैश्विक डेलिगेशन और उनके गंतव्य:
ग्रुप 1: सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन, अल्जीरिया
ग्रुप 2: यूके, फ्रांस, जर्मनी, यूरोपीय संघ, इटली, डेनमार्क
ग्रुप 3: इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण कोरिया, जापान, सिंगापुर
ग्रुप 4: यूएई, लाइबेरिया, कांगो, सिएरा लियोन
ग्रुप 5: अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील, कोलंबिया (थरूर का नेतृत्व)
ग्रुप 6: स्पेन, ग्रीस, स्लोवेनिया, लातविया, रूस
ग्रुप 7: मिस्र, कतर, इथियोपिया, दक्षिण अफ्रीका
यह पहल न केवल भारत की सुरक्षा नीति को स्पष्ट करने का माध्यम बनेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंक के खिलाफ एक साझा सोच को भी मजबूती देगी। भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि उसकी आवाज, पीड़ा और शांति का संकल्प सीमाओं से परे भी सुना जाए।