हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने अपने जीवन में एक प्रेरणादायक कदम उठाया, जब उन्होंने 82 साल की उम्र में 10वीं की परीक्षा दी। यह खबर न केवल चर्चा का विषय बनी, बल्कि उम्र को केवल एक संख्या मानने के उनके विचार ने कई लोगों को प्रेरित भी किया। उनके इस साहसिक प्रयास ने यह साबित किया कि शिक्षा के लिए उम्र कभी भी बाधा नहीं होती। आइए जानते हैं कि उन्होंने यह परीक्षा क्यों दी, उनके क्या नंबर आए, और इस निर्णय के पीछे का कारण क्या था।
शिक्षा की ओर बढ़ाया कदम
ओम प्रकाश चौटाला ने हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (HBSE) से 10वीं की परीक्षा दी। उन्होंने यह परीक्षा जेल में रहते हुए दी थी, क्योंकि वह उस समय कानूनी मामलों के कारण सजा काट रहे थे। शिक्षा के प्रति उनके इस समर्पण ने समाज में एक सकारात्मक संदेश दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी इंसान अपने सपनों को पूरा कर सकता है।
चौटाला ने अपनी पढ़ाई के प्रति गंभीरता दिखाते हुए नियमित रूप से पढ़ाई की और परीक्षा में अच्छे प्रदर्शन का प्रयास किया। उन्होंने हिंदी, अंग्रेजी, सामाजिक विज्ञान, गणित और विज्ञान जैसे विषयों की परीक्षा दी।
परीक्षा परिणाम: कितने आए थे नंबर?
ओम प्रकाश चौटाला ने अपनी 10वीं की परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया।
- उन्होंने कुल 88% अंक प्राप्त किए।
- यह स्कोर उनके मेहनत और दृढ़ता का प्रमाण है।
- चौटाला ने हिंदी और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में उच्च अंक प्राप्त किए, जबकि गणित और विज्ञान जैसे विषयों में भी उनका प्रदर्शन सराहनीय रहा।
पढ़ाई करने का उद्देश्य
ओम प्रकाश चौटाला ने यह परीक्षा क्यों दी, इसके पीछे एक खास वजह थी। भारतीय न्यायिक प्रणाली के अनुसार, जेल में अच्छे व्यवहार और शिक्षा से संबंधित प्रयास करने पर कैदियों को कुछ विशेष छूट मिल सकती है। इसके अलावा, उन्होंने शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए यह संदेश देने का प्रयास किया कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती।
उनका यह कदम उन लोगों के लिए प्रेरणा है, जो किसी कारणवश अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ देते हैं। उन्होंने साबित किया कि अगर लगन और मेहनत हो, तो किसी भी उम्र में पढ़ाई शुरू की जा सकती है।
समाज के लिए प्रेरणा
चौटाला का यह निर्णय कई मायनों में खास था। उन्होंने न केवल अपनी शिक्षा को बढ़ावा दिया, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि जीवन में कोई भी क्षण सीखने के लिए देर नहीं होता। उनकी इस कोशिश ने कई युवाओं और बुजुर्गों को प्रेरित किया है।
यह घटना उन छात्रों के लिए एक उदाहरण है, जो असफलताओं से घबराते हैं। उनके इस प्रयास ने जेल में शिक्षा के महत्व को भी रेखांकित किया। ओम प्रकाश चौटाला का यह कदम यह साबित करता है कि मेहनत और समर्पण से हर लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
82 साल की उम्र में ओम प्रकाश चौटाला द्वारा 10वीं की परीक्षा देना और उसमें अच्छे अंक प्राप्त करना यह साबित करता है कि अगर इंसान के अंदर सीखने की ललक हो, तो उम्र कोई मायने नहीं रखती। उनका यह प्रयास शिक्षा के प्रति समर्पण और दृढ़ता का जीता-जागता उदाहरण है। चौटाला का यह कदम समाज के लिए प्रेरणा है और यह संदेश देता है कि जिंदगी के हर पड़ाव में आगे बढ़ने का जुनून बनाए रखना चाहिए।