चुनावी हिंदू: पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना पर BJP का हमला, केजरीवाल से पूछे सवाल

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पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना पर BJP का हमला
पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना पर BJP का हमला

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली चुनाव से पहले पुजारियों और ग्रंथियों के लिए नई पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत दिल्ली सरकार मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को हर महीने ₹18,000 देने का प्रावधान करेगी। योजना की घोषणा करते हुए केजरीवाल ने इसे धार्मिक समुदाय के सम्मान और उनकी आर्थिक मदद के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने इस पर तीखा हमला करते हुए इसे राजनीतिक चाल करार दिया है।

BJP ने किया कटाक्ष, केजरीवाल को बताया ‘चुनावी हिंदू’

दिल्ली बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल की तस्वीर को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर किया। इसमें बीजेपी ने सीएम केजरीवाल को ‘चुनावी हिंदू’ कहते हुए आरोप लगाया कि वे चुनाव नजदीक आते ही धार्मिक समुदायों की सुध लेने लगते हैं।

पोस्ट में BJP ने लिखा:

  • “जो 10 साल से इमामों को सैलरी देता रहा।
  • जो खुद और उनकी पार्टी प्रभु श्रीराम के मंदिर बनने से खुश नहीं थे।
  • जिसने मंदिरों और गुरुद्वारों के बाहर शराब के ठेके खुलवाए।
  • जिसकी पूरी राजनीति हिंदू विरोधी रही।”

इसके साथ बीजेपी ने सवाल उठाया कि आखिर क्यों केजरीवाल को अब पुजारियों और ग्रंथियों की याद आई है।

क्या है पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना?

मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 30 दिसंबर को पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना की घोषणा की। इस योजना का उद्देश्य दिल्ली के मंदिरों के पुजारियों और गुरुद्वारों के ग्रंथियों को आर्थिक मदद प्रदान करना है। योजना के तहत उन्हें ₹18,000 प्रति माह की राशि दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया आज से शुरू हो गई है और इसका लाभ जल्द ही योग्य व्यक्तियों को मिलेगा।

योजना की घोषणा के दौरान केजरीवाल ने BJP पर तंज कसते हुए कहा कि, “जैसे महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना को रोकने की कोशिश की गई थी, वैसे ही इस योजना को भी बाधित न किया जाए। यह धार्मिक नेताओं के सम्मान और उनकी आर्थिक सुरक्षा के लिए आवश्यक है।”

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

BJP ने इस योजना को चुनावी पैंतरा बताते हुए सवाल खड़े किए हैं। पार्टी ने इसे आम आदमी पार्टी की धार्मिक समुदायों को लुभाने की कोशिश करार दिया। वहीं, आम आदमी पार्टी ने इसे धर्म और समाज के प्रति सरकार की जिम्मेदारी का हिस्सा बताया। पुजारी-ग्रंथी सम्मान योजना पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है, और आने वाले समय में इसे लेकर और बहस होने की संभावना है।