UP POLITICS: उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल मचाने वाली बड़ी खबर सामने आई है। समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आज़म खान (Azam Khan) करीब 23 महीने और 4 दिन जेल में रहने के बाद मंगलवार (23 सितंबर) सुबह सीतापुर जेल से रिहा होंगे। जानकारी के अनुसार, जेल प्रशासन ने उनकी रिहाई से जुड़ी सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं।
देरी से पहुंचे बेल ऑर्डर बने वजह
सूत्रों के अनुसार, आज़म खान की रिहाई आज यानी सोमवार (22 सितंबर) ही होनी थी, लेकिन 5 बेल ऑर्डर देर से आने की वजह से उन्हें जेल से बाहर नहीं निकाला जा सका। जेल प्रशासन ने सभी आदेशों का बारीकी से मिलान किया। इसमें केस नंबर, धाराएं और अन्य महत्वपूर्ण जानकारी की जांच की गई। कुल 58 ऑर्डर की क्रॉस चेकिंग पूरी होने के बाद अब मंगलवार सुबह लगभग 7 बजे उनकी रिहाई तय मानी जा रही है।
BSP में जाने की अटकलें
आज़म खान की रिहाई को लेकर राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है। सोमवार को बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कई पदाधिकारी सीतापुर जेल पहुंचे। इसे देखते हुए चर्चा तेज है कि आज़म खान जल्द ही बसपा का दामन थाम सकते हैं। कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि 9 अक्टूबर को लखनऊ में होने वाले मायावती के बड़े सम्मेलन में आज़म खान औपचारिक रूप से पार्टी में शामिल हो सकते हैं।
वकील बोले- रिहाई में नहीं है अड़चन
आज़म खान के वकील इमरानुल्लाह का कहना है कि जौहर यूनिवर्सिटी से जुड़े शत्रु संपत्ति मामले में पुलिस ने तीन धाराएं बढ़ाई हैं, लेकिन इनमें अभी तक कस्टडी नहीं ली गई है। ऐसे में उनकी रिहाई पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस-जिस मामले में जमानत हो चुकी है, उसका आदेश जेल प्रशासन तक भेजा गया है। इसलिए कानूनी दृष्टि से अब उनकी रिहाई पूरी तरह संभव है।
2020 से शुरू हुआ जेल का सफर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आज़म खान पहली बार फरवरी 2020 में गिरफ्तार होकर रामपुर जेल भेजे गए थे। इसके बाद में सुरक्षा कारणों से उन्हें सीतापुर जेल में शिफ्ट कर दिया गया। मई 2022 में उन्हें जमानत मिली और वे बाहर आ गए। हालांकि, 18 अक्टूबर 2023 को एक मामले में सजा मिलने के बाद उन्होंने सरेंडर कर दिया, जिसके बाद उन्हें दोबारा रामपुर और फिर सीतापुर जेल भेजा गया।
104 मुकदमों का सामना
अब तक आज़म खान के खिलाफ कुल 104 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इनमें से अकेले रामपुर में 93 केस दर्ज हैं, जबकि शेष मामले अन्य जिलों की अदालतों में लंबित हैं। अब तक दर्ज मामलों में से 12 पर अदालतें फैसला सुना चुकी हैं—कुछ मामलों में उन्हें सजा मिली है, तो कुछ में वे बरी हो चुके हैं। ज्यादातर मामलों में उन्हें जमानत मिल चुकी है। हालांकि, अभी भी 81 मुकदमे पेंडिंग हैं, जो विभिन्न जिलों की सेशन कोर्ट और मजिस्ट्रेट कोर्ट में विचाराधीन हैं।
आज़म खान की रिहाई न केवल उनके लिए राहत लेकर आई है, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी नए समीकरण खड़े कर रही है। बसपा में उनके शामिल होने की अटकलें अगर सही साबित होती हैं, तो राज्य की राजनीतिक तस्वीर पर बड़ा असर पड़ सकता है।