पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के महाकुंभ को लेकर दिए गए विवादित बयान पर समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सहमति जताई है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेले में पश्चिम बंगाल समेत कई अन्य राज्यों के लोगों की जान गई है, लेकिन सरकार अब तक यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि भगदड़ में कितने लोगों की मौत हुई। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) इस पर क्या जवाब देगी?
अखिलेश यादव का बीजेपी पर निशाना
अखिलेश यादव ने कहा कि कुंभ में आए श्रद्धालुओं के साथ सरकार ने खिलवाड़ किया। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के कई लोग इस हादसे में मारे गए, लेकिन उनकी सूची तक नहीं बनाई गई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस घटना को लेकर न ही कोई एफआईआर दर्ज की जा रही है और न ही सरकार इस पर कोई ठोस जवाब दे रही है।
उन्होंने कहा, “कुंभ मेले में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं, यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस बार सरकार ने जब कहा कि 100 करोड़ लोगों के लिए व्यवस्था की गई है, तो लोगों का भरोसा और बढ़ गया। जब बड़े-बड़े सेलिब्रिटीज और हस्तियों को निमंत्रण दिया गया, तो लोगों को लगा कि आयोजन बेहतरीन होगा। लेकिन हकीकत इसके उलट निकली। बीजेपी ने जनता की भावनाओं का गलत फायदा उठाया और उनकी जान से खिलवाड़ किया।”
अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी के बयान को सही ठहराया
अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी के बयान का समर्थन करते हुए कहा कि उन्होंने जो कहा, वह सही कहा। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मुद्दे पर चुप है और मरने वालों की सही संख्या तक नहीं बता रही है। उन्होंने कहा, “इतने बड़े धार्मिक आयोजन में भारी अव्यवस्था देखी गई, जिससे बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो गई। लेकिन बीजेपी सरकार इसे छिपाने की कोशिश कर रही है।”
योगी सरकार पर भी साधा निशाना
अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सदन में दिए गए बयान की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को विकास और शिक्षा की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में 11 लाख से अधिक प्राइमरी स्कूल बंद हो गए हैं, जिससे साफ है कि सरकार शिक्षा पर ध्यान नहीं दे रही है। सवाल यह उठता है कि राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है?”
अखिलेश यादव ने केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों की सुरक्षा और व्यवस्था की जिम्मेदारी सरकार की थी, लेकिन वे इसमें पूरी तरह विफल साबित हुए हैं। उन्होंने मांग की कि सरकार इस हादसे पर पारदर्शिता रखे और मरने वालों की वास्तविक संख्या सार्वजनिक करे।