भारत के वो राज्य जहां कभी नहीं लगा राष्ट्रपति शासन, जानें

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भारत के वो राज्य जहां कभी नहीं लगा राष्ट्रपति शासन, जानें
भारत के वो राज्य जहां कभी नहीं लगा राष्ट्रपति शासन, जानें

मणिपुर में बीते दो वर्षों से जारी हिंसा के बीच राजनीतिक हलचल तेज हो गई, जिसके चलते मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके तीन दिन बाद, राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इस फैसले को लेकर विपक्ष काफी समय से मांग कर रहा था। कहा जा रहा है कि भाजपा के भीतर नए मुख्यमंत्री को लेकर आम सहमति नहीं बन सकी, जिसके कारण राज्यपाल की सिफारिश पर यह फैसला लिया गया।

भारत में कितनी बार लागू हुआ राष्ट्रपति शासन?

संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत, जब किसी राज्य में संवैधानिक मशीनरी पूरी तरह से विफल हो जाती है, तब वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। भारत में अब तक 134 बार विभिन्न राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। मणिपुर में इसे 11 बार लागू किया गया है, जबकि उत्तर प्रदेश में 10 बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

किन राज्यों में सबसे लंबे समय तक रहा राष्ट्रपति शासन?

भारत के कुछ राज्यों में राष्ट्रपति शासन लंबे समय तक लागू रहा है। जम्मू-कश्मीर, पंजाब और पुडुचेरी वे राज्य हैं, जिन्होंने सबसे अधिक समय तक राष्ट्रपति शासन का अनुभव किया है।

  • जम्मू-कश्मीर में 12 वर्षों (4668 दिन) तक राष्ट्रपति शासन लागू रहा।
  • पंजाब में 10 वर्षों (3878 दिन) तक यह व्यवस्था रही।
  • पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन 2739 दिन (करीब 7 साल) तक लागू रहा।
  • इंदिरा गांधी के कार्यकाल में सबसे अधिक राष्ट्रपति शासन
  • स्वतंत्र भारत में राष्ट्रपति शासन लागू करने के मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का कार्यकाल सबसे आगे रहा है। उन्होंने अपने शासनकाल में 51 बार राष्ट्रपति शासन लगाया। उनके बाद मोरारजी देसाई ने 17 बार, नरसिम्हा राव ने 11 बार, मनमोहन सिंह ने 12 बार और नरेंद्र मोदी ने 10 बार राष्ट्रपति शासन लागू किया। वहीं, अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 5 बार यह कदम उठाया गया।

किन राज्यों में कभी नहीं लगा राष्ट्रपति शासन?

स्वतंत्रता के बाद से, भारत के लगभग सभी राज्यों में कभी न कभी राष्ट्रपति शासन लगाया गया है, लेकिन दो राज्य ऐसे हैं जहां यह अब तक लागू नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ और तेलंगाना, ये दोनों राज्य अब तक राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने में सफल रहे हैं, जिससे वहां अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ी।