Hypersonic Missiles: क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल? जानें मैक 24 तक की रफ्तार और दुश्मन की नींद उड़ाने वाली ताकत के बारे में

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Hypersonic Missiles: भारत की सामरिक शक्ति अब केवल संख्या नहीं, बल्कि तकनीकी श्रेष्ठता की दिशा में भी बड़ी छलांग ले चुकी है। खासकर हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में भारत ने जो उपलब्धि हासिल की है, उसने न केवल दक्षिण एशिया बल्कि वैश्विक सुरक्षा समीकरणों को भी प्रभावित किया है। ऐसे समय में जब कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ और भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसा निर्णायक जवाब दिया, तब भारत की मिसाइल क्षमताएं दुश्मनों के लिए बड़ी चेतावनी बनकर उभरी हैं।

क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल?

हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसी मिसाइलें होती हैं जो ध्वनि की गति से कम से कम पांच गुना (मैक 5) अधिक रफ्तार से उड़ान भरती हैं। इनकी गति, दिशा बदलने की क्षमता और ऊंचाई पर उड़ान भरने की विशेषता इन्हें पारंपरिक बैलिस्टिक या क्रूज मिसाइलों से कहीं अधिक घातक बनाती है। इन्हें ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना लगभग असंभव होता है, क्योंकि यह रडार को चकमा देने की क्षमता रखती हैं।

दो प्रमुख कैटेगरीज: ग्लाइड व्हीकल और क्रूज मिसाइल

हाइपरसोनिक हथियारों को दो प्रमुख वर्गों में बांटा गया है —

  1. हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV): जिसे रॉकेट के जरिए उच्च वातावरण में भेजा जाता है और वहां से यह अत्यधिक गति से लक्ष्य की ओर ग्लाइड करता है।
  2. हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (HCM): यह स्क्रैमजेट इंजन की मदद से निरंतर उच्च गति बनाए रखते हुए टारगेट को हिट करती है।

भारत की मिसाइलें जो हाइपरसोनिक रेंज में आती हैं

भारत के पास पहले से कुछ ऐसी मिसाइलें हैं जिनकी रफ्तार मैक 5 से अधिक है। इनमें शामिल हैं:

  • अग्नि-5: सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल 5000 किलोमीटर की रेंज और मैक 24 की स्पीड से दुश्मन को पलक झपकते खत्म करने में सक्षम है।
  • अग्नि-4: 4000 किमी रेंज, मैक 7 स्पीड।
  • अग्नि-2: 2000-3000 किमी की रेंज और मैक 12 की गति।
  • अग्नि-1: 700-1250 किलोमीटर की रेंज है। इसकी स्पीड मैक 7.5 है।
  • पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD): 80 किमी की ऊंचाई तक टारगेट कर सकता है, स्पीड मैक 5+ है।
  • ब्रह्मोस-2: भारत-रूस संयुक्त परियोजना, रेंज 1000 किमी, स्पीड मैक 7 है।
  • पृथ्वी मिसाइल: रेंज 2000 किमी, स्पीड मैक 8 है।

DRDO की हाइपरसोनिक पहल

भारत ने DRDO के नेतृत्व में हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) का सफल परीक्षण कर इस क्षेत्र में अपनी सशक्त मौजूदगी दर्ज की है। इसका उद्देश्य स्क्रैमजेट आधारित हाइपरसोनिक मिसाइलों का निर्माण करना है, जो भारत की रक्षा प्रणाली को नई ऊंचाई पर ले जाएगा।

वैश्विक तुलना और भारत की स्थिति

वर्तमान में अमेरिका, रूस और चीन हाइपरसोनिक हथियारों के विकास में अग्रणी माने जाते हैं। भारत, फ्रांस, जापान, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया इस दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। भारत की नई मिसाइल क्षमताएं पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की सामरिक रणनीति के लिए बड़ा सिरदर्द बन चुकी हैं।

पाकिस्तान की चिंता: कश्मीर से कराची तक बेचैनी

हाल ही में कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसी सैन्य कार्रवाई से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर है। पाकिस्तान पहले से ही भारत की सर्जिकल स्ट्राइक्स और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे अभियानों से भयभीत रहा है। अब भारत की हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक उस डर को और पुख्ता कर रही है।

भारत की बढ़ती हाइपरसोनिक ताकत न केवल उसकी रक्षात्मक क्षमता को मजबूत करती है, बल्कि यह उसके विरोधियों के लिए एक स्पष्ट संदेश है — अब भारत को आंख दिखाने की कीमत बेहद भारी हो सकती है।