सुप्रीम कोर्ट ने पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन में त्रावणकोर के राजपरिवार के अधिकार को मान्यता दे दी है। तिरुअनंतपुरम के जिला जज की अध्यक्षता वाली कमिटी फिलहाल मंदिर की व्यवस्था देखेगी। मुख्य कमिटी के गठन तक यही व्यवस्था रहेगी। मुख्य कमिटी में राजपरिवार की भी अहम भूमिका रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने #पद्मनाभस्वामी_मंदिर के प्रबंधन में #त्रावणकोर के राजपरिवार के अधिकार को मान्यता दे दी है।
तिरुअनंतपुरम के जिला जज की अध्यक्षता वाली कमिटी फिलहाल मंदिर की व्यवस्था देखेगी। इसमें राजपरिवार की भी अहम भूमिका रहेगी।
मंदिर प्रबंधन को लेकर #9साल से विवाद चल रहा था। pic.twitter.com/u7wcAtHNI9
— APN न्यूज़ हिंदी (@apnlivehindi) July 13, 2020
तिरुअनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर में वित्तीय गड़बड़ी को लेकर प्रबंधन और प्रशासन का विवाद नौ सालों से कोर्ट में लंबित था. केरल हाईकोर्ट के फैसले को त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. मंदिर के पास करीब दो लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है.
इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था, जिन्होंने 1947 में भारतीय संघ में विलय से पहले दक्षिणी केरल और उससे लगे तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन किया था.
स्वतंत्रता के बाद भी मंदिर का संचालन पूर्ववर्ती राजपरिवार द्वारा नियंत्रित ट्रस्ट करता रहा जिसके कुलदेवता भगवान पद्मनाभ (विष्णु) हैं.
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को मंदिर, उसकी संपत्तियों का प्रबंधन संभालने तथा परिपाटियों के अनुरूप मंदिर का संचालन करने के लिए एक निकाय या ट्रस्ट बनाने के लिहाज से कदम उठाने का निर्देश दिया था.
शीर्ष अदालत ने दो मई, 2011 को मंदिर के प्रबंधन और संपत्तियों पर नियंत्रण से संबंधित उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगा दी थी। यह मंदिर तब सुर्खियों में आया था जब इसकी तिजोरियों में अकूत संपदा का खुलासा हुआ था। अब यह दुनिया के सबसे धनी मंदिर में शुमार होता है।