क्या होता है ऑटिज्म? जिसमें बच्चा नजर नहीं मिलाता और हो जाता है काबू से बाहर

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क्या होता है ऑटिज्म? जिसमें बच्चा नजर नहीं मिलाता और हो जाता है काबू से बाहर
क्या होता है ऑटिज्म? जिसमें बच्चा नजर नहीं मिलाता और हो जाता है काबू से बाहर

ऑटिज्म (Autism) एक न्यूरोडेवलपमेंटल डिसऑर्डर है, जो बचपन में ही लक्षण दिखाने लगता है। इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (ASD) भी कहा जाता है। इस स्थिति में बच्चे का सामाजिक व्यवहार, संवाद करने की क्षमता और भावनात्मक प्रतिक्रिया प्रभावित होती है। कई बार माता-पिता इस स्थिति को सामान्य समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन समय पर सही जानकारी और थेरेपी से इसमें सुधार किया जा सकता है।

ऑटिज्म के लक्षण

  • ऑटिज्म से प्रभावित बच्चे आमतौर पर कुछ विशेष लक्षण दिखाते हैं, जैसे:
  • नजर मिलाने से बचना – ऐसे बच्चे किसी से आंखों में आंखें डालकर बात करने में असहज महसूस करते हैं।
  • बातचीत में कठिनाई – कुछ बच्चे बोलने में देरी से विकसित होते हैं या फिर कम बोलते हैं।
  • रिपिटेटिव बिहेवियर – बार-बार एक ही तरह की हरकतें दोहराना, जैसे हाथ हिलाना या घूमते रहना।
  • भावनात्मक प्रतिक्रिया में कमी – उन्हें दूसरों की भावनाओं को समझने में कठिनाई होती है।
  • एक ही चीज़ में रुचि – कोई खास विषय, खिलौना या गतिविधि के प्रति असामान्य रूप से ज्यादा रुचि।
  • रूटीन में बदलाव सहन न कर पाना – अचानक माहौल या दिनचर्या बदलने से बेचैनी महसूस करना।

बच्चा काबू से बाहर क्यों हो जाता है?

ऑटिज्म से प्रभावित बच्चे अक्सर नए माहौल या अत्यधिक शोर-शराबे में असहज हो जाते हैं। उनकी इंद्रियां (सेंसरी सिस्टम) दूसरों की तुलना में अलग ढंग से काम करती हैं, जिससे वे किसी भी चीज़ पर जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया दे सकते हैं। अगर वे किसी स्थिति को समझ नहीं पाते या असहज महसूस करते हैं, तो वे गुस्सा या चिड़चिड़ापन दिखा सकते हैं।

ऑटिज्म का कारण क्या है?

इसका सटीक कारण अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ मुख्य कारणों में शामिल हैं:
जेनेटिक फैक्टर – परिवार में किसी को पहले से यह समस्या हो तो इसका खतरा बढ़ सकता है।
दिमागी संरचना में बदलाव – शोध बताते हैं कि ऑटिज्म से प्रभावित बच्चों के दिमाग का विकास सामान्य बच्चों से अलग होता है।
गर्भावस्था के दौरान संक्रमण या जटिलताएं – प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ वायरल इंफेक्शन या दवाओं का असर ऑटिज्म का खतरा बढ़ा सकता है।

ऑटिज्म का इलाज और प्रबंधन

ऑटिज्म को पूरी तरह से खत्म करना संभव नहीं है, लेकिन सही थेरेपी और देखभाल से बच्चों के व्यवहार में सुधार लाया जा सकता है।

  • स्पीच थेरेपी – बोलने और संवाद करने की क्षमता सुधारने के लिए।
  • ऑक्यूपेशनल थेरेपी – रोजमर्रा के कामों में सहायता के लिए।
  • सेंसरी इंटीग्रेशन थेरेपी – बच्चे को शोर या रोशनी जैसी चीजों से एडजस्ट करने में मदद करने के लिए।
  • विशेष शिक्षा (Special Education) – खास तकनीकों से पढ़ाई में सहायता।
  • माता-पिता और परिवार की भूमिका – सही देखभाल और सहयोग बच्चे के विकास में अहम भूमिका निभाता है।

ऑटिज्म कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक न्यूरोलॉजिकल कंडीशन है। इसे पहचानकर सही समय पर थेरेपी और मार्गदर्शन दिया जाए, तो बच्चा बेहतर जीवन जी सकता है। माता-पिता को इस बारे में जागरूक रहना चाहिए और बच्चे को प्यार और धैर्य के साथ संभालना चाहिए।