लोहड़ी का त्योहार उत्तर भारत, खासतौर पर पंजाब और हरियाणा में बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है और इसे नई फसल के आगमन का प्रतीक माना जाता है। लोहड़ी का संबंध कृषि, प्रकृति और सामाजिक एकता से है। यह त्योहार न केवल फसल कटाई का जश्न है, बल्कि परिवार और समाज में सामंजस्य और भाईचारे का प्रतीक भी है।
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी का पर्व मुख्य रूप से नई फसल की खुशी में मनाया जाता है। इसे किसानों का त्योहार भी कहा जाता है क्योंकि इस समय रबी की फसल तैयार होती है। यह त्योहार सूर्यदेव और अग्नि देव को समर्पित होता है और सर्दियों के अंत और बसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है। धार्मिक दृष्टि से यह दिन धन, समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।
लोहड़ी से जुड़ी एक लोकप्रिय कहानी दुल्ला भट्टी की है। दुल्ला भट्टी मुगल काल में एक ऐसा नायक था जिसने गरीब लड़कियों की मदद की और उनके विवाह की व्यवस्था की। उसकी इस परोपकारिता के कारण लोहड़ी को न्याय, परोपकार और सामाजिक समानता का पर्व भी माना जाता है।
लोहड़ी की पूजा विधि
लोहड़ी की शाम को घर के बाहर या खुले स्थान पर लकड़ियों का ढेर लगाकर अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इस अग्नि के चारों ओर परिवार और मित्र इकट्ठा होते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं।
- अग्नि प्रज्वलन: लकड़ियों, उपले, और सूखे पत्तों से अग्नि जलाई जाती है।
- अग्नि की परिक्रमा: सभी परिवारजन अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं।
- भोग समर्पण: अग्नि में तिल, गुड़, गजक, मूंगफली, रेवड़ी और मकई के दाने अर्पित किए जाते हैं।
- मंत्रोच्चारण: सूर्य देव और अग्नि देव की स्तुति की जाती है और आभार प्रकट किया जाता है।
अग्नि में समर्पित सामग्रियों का महत्व
तिल: तिल शुद्धता और समर्पण का प्रतीक है। इसे अग्नि में चढ़ाने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
गुड़: गुड़ मिठास और समृद्धि का प्रतीक है। इसे अर्पित करने से जीवन में मिठास और खुशहाली आती है।
रेवड़ी और गजक: ये सामग्रियां सामाजिक एकता और मेल-जोल का प्रतीक हैं। इन्हें बांटने से रिश्तों में मिठास और प्रेम बढ़ता है।
मूंगफली और मकई के दाने: ये नई फसल और कृषि समृद्धि का प्रतीक हैं। इन्हें चढ़ाने का उद्देश्य फसल की भरपूर उपज और भविष्य में सुख-समृद्धि की कामना करना है।
लोहड़ी का पर्व प्रकृति, कृषि और सामाजिक सांस्कृतिक मूल्यों से गहराई से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार हमें न केवल नई फसल के आगमन की खुशी मनाने का अवसर देता है, बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारे और एकता का संदेश भी फैलाता है। लोहड़ी की अग्नि में अर्पित की जाने वाली हर सामग्री का अपना विशेष महत्व है, जो हमें हमारी परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है।