Report : Shweta Rai

सा़ड़ियां पारंपरिक भारतीय परिधानों में सबसे ज्यादा आकर्षक लगती है। यही नहीं सलीके से पहनी गई साड़ी किसी भी महिला के सौंदर्य को दुगुना कर देती है। उत्सवों, त्योहारों या पारंपरिक भव्य आयोजनों में साड़ी ही महिलाओं की पहली पसंद होती है और जब बात दक्षिणी राज्यों साड़ियों की हो तो ये साड़ियां महिलाओं की खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। आज हम बात करेंगे तमिलनाडु की कांजीवरम साड़ियों के बारे में।

कांजीवरम सिल्क साड़ियों का प्रमुख उत्पादन केंद्र होने के कारण तमिलनाडु के कांचीपुरम् को सिल्क सिटी के नाम से भी जाना जाता हैं | अपनी खासियत और ख्याति की वजह से कांजीवरम साड़ी को भारत सरकार की ओर से भौगोलिक उपदर्शक का दर्जा भी प्राप्त है।
Kanjeevaram Silk Saree

कांजीवरम साड़ियों के निर्माण में श्रेष्ठ क्वालिटी के मलबरी सिल्क का प्रयोग कियाजाता है| कांजीवरम सिल्कसाड़ियाँ पारंपरिक हाथ की बुनाई से तैयार की जाती हैं जिसे कोरवई तकनीक भी कहते हैं| कोरवई साड़ी में बॉर्डर और पल्लू एक ही रंग का होता हैं और यह बाकी साड़ी के रंग से बहुत ब्राइट होता हैं| कांचीवरम साड़ी के ज़री की बुनाई में चांदी एवं सोने का प्रयोग किया जाता है। और एक साड़ी को तैयार करन में लगभग एक हफ्ते का समय लगता है।

कांजीवरम साड़ियों में विशेषतः बॉर्डर और पल्ले पर खास काम किया जाता रहा है। बीच की पूरी साड़ी या तो खाली रखी जाती थी या फिर इसमें बूटियाँ बुनी जाती थीं। एक पतली जरी बॉर्डर तथा कुछ बूटियों वाली कांजीवरम साड़ी की कीमत लगभग 6 हजार रुपए से शुरू होकर लाखों तक होती है।Kanjeevaram Silk Saree

कांजीवरम साड़ी की चौड़ाई अन्य सिल्क साड़ियों से ज्यादा होती है। जहां एक आम साड़ी की चौड़ाई 45 इंच होती हैं, वहीं कांजीवरम साड़ी की चौड़ाई 48 इंच रखी जाती है। कांजीवरम साड़ियों में डिजाइन मोटिफ्स के लिए सूर्य, चंद्रमा,मोर, हंस, रथ और मंदिर के चित्र प्रयोग किए जाते हैं।

आजकल डिजाइनरों ने कांजीवरम की पारंपरिक डिजाइनों के साथ नए प्रयोग किए हैं। जिनमें मुख्यतौर पर वजन में कुछ हल्की साड़ियाँ भी बनाई गई हैं। इसके लिए इस बुनाई में जॉर्जेट,मलमल, रेशम तथा चंदेरी का मिश्रण किया गया है। इनमें कांजीवरम में सुनहरी जरी के रेशों तथा परंपरागत फूल तथा मंदिरों की डिजाइनों के साथ ही नए ग्राफिकल तथा ज्यॉमेट्रिकल डिजाइनों, एम्ब्रायडरी तथा सेल्फ प्रिंट एवं नए रंगों को भी जोड़ा गया है। Kanjeevaram Silk Sareeइनसे आज की कॉकटेल तथा कार्पोरेट साड़ियाँ भी बनाई जा रही हैं। ऐसी एक साड़ी बुनने में लगभग 20-25 दिन लगते हैं। यही नहीं समय की माँग को देखते हुए इस बुनाई से साड़ियों के अलावा स्कर्ट, कुर्ते, टॉप तथा मिडी भी बनाए जा रहे हैं, जिन्हें विदेशों में भी पसंद किया जा रहा है।

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