अक्सर जब “मेनोपॉज” की बात होती है तो महिलाओं के शारीरिक बदलाव और मासिक धर्म बंद होने की प्रक्रिया सामने आती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि पुरुषों में भी उम्र के साथ कुछ इसी तरह के हार्मोनल परिवर्तन होते हैं? इस लेख में जानिए कि पुरुष कितनी उम्र तक संतान पैदा कर सकते हैं और क्या उनके लिए भी कोई “मेनोपॉज” जैसा चरण होता है।
क्या पुरुषों की फर्टिलिटी उम्र के साथ घटती है?
महिलाओं के विपरीत, पुरुषों के लिए कोई तय उम्र नहीं होती जब उनकी प्रजनन क्षमता पूरी तरह समाप्त हो जाए। हालांकि रिसर्च में सामने आया है कि पुरुष 60 से 70 वर्ष की आयु तक भी पिता बन सकते हैं। लेकिन उम्र के साथ शुक्राणुओं की क्वालिटी और मात्रा दोनों में गिरावट देखी जाती है, जिससे संतानोत्पत्ति की संभावना कम हो सकती है।
एंड्रोपॉज: पुरुषों का ‘मेनोपॉज’
जहां महिलाओं में मेनोपॉज के दौरान एस्ट्रोजन हार्मोन में गिरावट आती है, वहीं पुरुषों में “एंड्रोपॉज” नाम की स्थिति देखी जाती है, जिसमें टेस्टोस्टेरोन का स्तर धीरे-धीरे घटने लगता है। आमतौर पर यह बदलाव 40 से 55 वर्ष की उम्र के बीच शुरू होता है।
एंड्रोपॉज के संकेत क्या हैं?
- लगातार थकान और ऊर्जा में कमी
- यौन इच्छा में गिरावट
- मूड में उतार-चढ़ाव या चिड़चिड़ापन
- मांसपेशियों की ताकत में कमी
- ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत
इससे निपटने के उपाय
टेस्टोस्टेरोन को संतुलित बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम, हेल्दी डाइट और पर्याप्त नींद बेहद जरूरी है। यदि लक्षण ज्यादा गंभीर हों, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर हार्मोन टेस्ट करवाना चाहिए। इसके अलावा, मानसिक तनाव भी हार्मोनल असंतुलन की एक वजह हो सकता है, इसलिए मानसिक संतुलन बनाए रखना भी जरूरी है।
पुरुष भले ही किसी भी उम्र में पिता बनने की क्षमता रखते हों, लेकिन उम्र का असर उनकी प्रजनन क्षमता और हार्मोन पर जरूर पड़ता है। भले ही यह प्रक्रिया महिलाओं जितनी स्पष्ट न हो, लेकिन एंड्रोपॉज के रूप में पुरुषों में इसका असर धीरे-धीरे महसूस होता है। समय पर पहचान, हेल्दी लाइफस्टाइल और जागरूकता ही इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका है।