Punjab CM vs Governor: पंजाब के बजट सत्र के मुद्दे पर गवर्नर के खिलाफ पंजाब सरकार की तरफ से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने CJI के सामने उठाया। दरअसल 22 फरवरी को पंजाब कैबिनेट ने बजट सत्र बुलाने के लिए गवर्नर को चिट्ठी लिखी थी। 23 फरवरी को गवर्नर ने कहा था कि वह कानूनी राय लेंगे। बावजूद इसके अभी तक गवर्नर ने बजट सत्र पर कोई जवाब नहीं दिया है। इस मामले में CJI ने कहा कि राज्यपाल की ओर से बताया गया कि वह 3 मार्च को 10 बजट सत्र बुलाया है। ऐसे में राज्यपाल के इस आदेश के बाद याचिका में माँगी गयी राहत मिल गई है।

पंजाब बजट सेशन पर राज्यपाल के खिलाफ पंजाब सरकार की याचिका का मामले में SG ने CJI की बेंच के सामने बताया कि राज्यपाल ने मना नहीं किया बल्कि वह इसके लिए कानूनी सलाह लेंगे। उनके द्वारा बजट सेशन के लिए गजट जारी कर दिया है। SG ने कहा कि यह उचित नहीं है। वह एक संवैधानिक प्राधिकारी हैं। उन पर आरोप लगाना उचित नहीं है कि उन्होंने जानबूझ कर ऐसा किया।
वही पंजाब सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इसके लिए दो पत्र राज्यपाल को भेजे गए। उन्होंने कहा जब हम अदालत आते तो गवर्नर का इजाजत के लिए पत्र देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि वह नहीं चाहते कि देश को पता चले। वकील सिंघवी ने कहा अनुच्छेद 171 के मुताबिक राज्यपाल के पास कैबिनेट के अनुरोध को स्वीकार करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। विधानसभा बुलाने के केबिनेट के अनुरोध को मानने के मामले में गवर्नर के पास कोई विवेकाधिकार ही नहीं है।
Punjab CM vs Governor: सुप्रीम कोर्ट ने कही ये बात
इस मामले में CJI ने कहा कि राज्यपाल की ओर से बताया गया कि वह 3 मार्च को 10 बजट सत्र बुलाया है। ऐसे में राज्यपाल के इस आदेश के बाद याचिका में माँगी गयी राहत मिल गई है। CJI ने यह भी कहा कि अनुछेद 167 के तहत राज्यपाल के द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब मुख्यमंत्री को देना चाहिए। क्योंकि मुख्यमंत्री का राज्यपाल से संवाद करने का कर्तव्य है ऐसे में राज्यपाल की आवश्यकता के अनुसार मुख्यमंत्री को राज्य के प्रशासन से संबंधित सूचना मांगे जाने पर उन्हें पेश करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा जहां एक ओर राज्य का प्रशासन लोकतांत्रिक रूप से चुने गए मुख्यमंत्री को सौंपा जाता है। वही संवैधानिक प्राधिकारी के रूप में राज्यपाल को सरकार के मार्गदर्शन और परामर्श देने का कर्तव्य सौंपा जाता है। यह आदान प्रदान के रूप में एक सामूहिक जिम्मेदारी देता है।
CJI ने आदेश मे कहा कि CM की भाषा को अवांछित करार दिया। उनका गवर्नर द्वारा मांगी गई जानकारी को न देना ग़लत है। कोर्ट ने कहा CM का व्यवहार कितना भी तिरस्कार भरा क्यों न रहा हो, गवर्नर विधानसभा सत्र बुलाने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को निभाने से इंकार नहीं कर सकते।
Punjab CM vs Governor: पंजाब सीएम ने गवर्नर कहे अनुचित शब्द
Punjab CM vs Governor: SG ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल को दिए गए जवाब पर सवाल उठाते हुए कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया गया है वह बिल्कुल अनुचित है। राज्यपाल संवैधनिक पद पर है लेकिन उनके द्वारा पूछे गए सवाल का मुख्यमंत्री के द्वारा जिस भाषा मे जवाब दिया गया है वह बिल्कुल अनुचित है।
सिंघवी ने कहा कि अनुच्छेद 217 के अनुसार इस मामले पर राज्यपाल के पास कोई विवेकाधिकार नहीं है। राज्यपाल द्वारा बेवजह परेशान किया जा रहा है। सिंघवी ने कहा कि क्या आप कह सकते हैं कि एक चाय पार्टी को लेकर आपका मुझसे विवाद हुआ था इसलिए आप विधानसभा नहीं बुलाएंगे? राज्यपाल संविधान को हाईजैक कर रहे हैं। क्या वह इस तरह से सौंपी गई संवैधानिक भूमिका को बरकरार रखते हैं? दोनों पक्षों को सुनने के बाद CJI ने दोनों पक्षों को सलाह दी।
CJI ने पंजाब सरकार से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 167B से साफ है कि अगर राज्यपाल सरकार से कोई जानकारी मांगते हैं तो इसे देने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। वहीं SG से कहा कि अगर कैबिनेट से कोई फैसला ले लिया है तो राज्यपाल नहीं कह सकते हैं कि वो कानूनी सलाह ले रहे हैं। जैसा कि यहां विधानसभा का सत्र बुलाने का फैसला कैबिनेट ने ले लिया तो राज्यपाल सत्र बुलाने के लिए बाध्य है।

Punjab CM vs Governor: केंद्र सरकार के वकील ने कही ये बात
Punjab CM vs Governor: SG ने कोर्ट को बताया गया कि यह एक लेटर है जो CM की तरफ से उनके लेटरहेड पर राज्यपाल को 14 फरवरी को भेजा गया है उसकी भाषा निचले दर्जे की है, आप भाषा को देखें जिसमे कहा गया है कि वह 3 करोड़ पंजाबियों के प्रति जवाबदेह हैं। इसलिए सरकार किसी और के प्रति जवाबदेह नहीं हैं।
SG ने कहा यहां तक कि इस कोर्ट के लिए भी नहीं अगर उस तर्क को यहां लागू किया जाता है। SG ने कहा राज्यपाल के पत्र में एक भी असंसदीय शब्द का इस्तेमाल नहीं किया था। जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि राज्यपाल को जवाब देते समय असंयमित नहीं हो सकते और गवर्नर सत्र को रोक भी नहीं सकते। कोर्ट ने कहा राज्यपाल द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण पर मुख्यमंत्री जवाब देने को बाध्य हैं।
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