शादी समारोह में दूल्हे का बारात लेकर दुल्हन के घर जाना तो रिवाज और परंपरा में शामिल है लेकिन अब ये रिवाज भी पुराना हो चला है। लड़के के कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली लड़कियों ने इस रिवाज को भी अब बदल दिया है। अब लड़कियां भी बैंड-बाजे के साथ बारात लेकर अपने होने वाले जीवसाथी के घर पहुंचती है। जिसे देखने के लिए भीड़ का सैलाब उमड़ जाता है। ऐसा ही एक नजारा धर्म की नगरी काशी में देखने को मिला जब दुल्हन बैंड बाजे के साथ बारात लेकर दूल्हे के घर पहुंची तो उसे देखने क लिए वहां भीड़ जमा हो गई।
दरअसल, नयापुर रहने वाले राजनाथ पटेल की पोस्ट ग्रेजुएट बेटी राजलक्ष्मी की शादी घमहापुर रहने वाले डीएल कश्यप के बेटे रेलवे के इंजीनियर राजा ठाकुर से तय हुई थी।
दूल्हे और दुल्हन के परिवार वालों ने तय किया था कि वे ऐसे बिना दहेज के शादी करेंगे और इसके अलावा विवाह में पूजापाठ, पंडित और सात फेरे जैसी बात नहीं होगी। इसके साथ ही दूल्हे के पिता ने कहा कि बारात लेकर लड़का नहीं बल्कि लड़की आएगी।
रविवार की शाम बैंड-बाजा वालों के साथ बघ्घी पर चढ़ कर राजलक्ष्मी कर्दमेश्वर महादेव मंदिर पहुंची। मंदिर में राजलक्ष्मी और राजा ठाकुर ने एक-दूसरे के गले में माला डालकर अपना जीवन साथी चुन लिया।
इस दौरान दूल्हे के पिता डीएल कश्यप ने कहा कि समाज से दहेज जैसी कुरीतियों का अंत हो। इसीलिए उन्होंने अपने बेटे का इस तरह से विवाह किया है।
दुल्हे के पिता ने दिया आइडिया
दूल्हे के पिता डॉ कश्यप ने बताया कि करीब डेढ़ दशक पूर्व वे अपने बड़े बेटे संजय कुमार की शादी में बारात लेकर वधू के घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि वधु पक्ष बारातियों के स्वागत के लिए परेशान रहे। उनकी परेशानी देखकर उसी समय कश्यप ने मन ही मन मे निर्णय लिया कि अब वह बारात ले जाने के बजाय वधू जिसे लक्ष्मी की संज्ञा देते है, उनकी बारात घोड़ी पर अपने दरवाजे बुलाकर स्वागत करेंगे।