उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपाकांग्रेस गठबंधन की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं। पूर्वांचल में मुस्लिमों पर अपना वर्चस्व रखने वाली राष्ट्रीय उलेमा काउंसिल ने अपना समर्थन बहुजन समाज पार्टी को दे दिया है। बसपा के समर्थन के बाद उलेमा काउंसिल ने 84 विधानसभा सीटों पर तय किए गए उम्मीदवारों को भी हटा लिया है। उनमें से कोई भी उम्मीदवार चुनाव नहीं लड़ेगा और उलेमा पूरी तरह से बसपा का समर्थन करेगी। 

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समर्थन का ऐलान काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर राशदी ने बसपा के महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस साझा करके किया। मौलाना राशदी का कहना है कहा कि समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकाल में मुसलमानों से काम लिया है लेकिन हमारे लिए कुछ भी नहीं किया। मौलाना राशदी ने कहा कि सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए मुस्लिमों के वोट को न बांटा जाएं। इसी वजह से हमने समर्थन का फैसला किया है। प्रदेश को बसपा ही गुंडाराज से बचा सकती है।

राशदी ने सपा-कांग्रेस गठबंधन पर तंज कसते हुए कहा कि आज दादरी और बाबरी के कातिल एक साथ खड़े हैं। 5 सालों में सपा-बीजेपी ने मिलकर प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगे कराए हैं। अखिलेश के बारे में मुस्लिमों की सोच क्या है यह उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने ही दिखा दिया है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी का कहना है कि बसपा सरकार बनी तो मुजफ्फरनगर दंगे की दोबारा जांच होगी।

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