सुप्रीम कोर्ट ने देश के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान आईआईटी में संयुक्त प्रवेश परीक्षा (JEE) के तहत हो रहे दाखिलों और काउंसलिंग पर रोक लगा दी हैं। जिसके चलते लाखों आईआईटी विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में पड़ गया हैं। कोर्ट ने यह रोक जेईई के तहत विद्यार्थियों को दिए जाने वाले ग्रेस मार्क्स को लेकर लगाई गई है।
न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायाधीश खानविल्कर की पीठ ने याचिका नंबर 469 पर सुनवाई करते हुए कहा,’देश का कोई हाई कोर्ट आईआईटी-जेईई के किसी याचिका पर विचार नहीं करेगा। दरअसल, एक परीक्षा में उन विद्यार्थियों को भी ग्रेस मार्क्स दिए गए थे जिन्होंने सवाल को हल करने की कोशिश भी नहीं की थी। नियम के अनुसार ग्रेस मार्क्स सिर्फ उन्हें ही दिए जाते हैं जो सवाल छोड़ने के बजाए उन्हें हल करने की कोशिश करते हैं।’ उधर, मामले की सुनवाई के दौरान आईआईटी पक्ष के वकील ने अपनी दलील में कहा,’करीब 2.5 लाख स्टूड़ेंट्स की उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जांचना संभव नहीं है और ऐसे में बोनस अंक देना बहुत सीधा समाधान होगा।‘ कोर्ट ने कहा कि वह अपने वर्ष 2005 में दिए गए फैसले को आगे बढ़ाएगा, जिसकी सुनवाई 10 जुलाई को होगी।
क्या थी याचिका?
सभी आईआईटी स्टूडेंट को मिले ग्रेस मर्क्स को लेकर आईआईटी स्टूडेंट ऐश्वर्या अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहीत याचिका दायर की थी। 30 जून को इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को एक नोटिस जारी कर आईआईटी जेईई 2017 की रैंक लिस्ट को रद्द करने की अपील की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से गुहार लगाई कि जिन विद्यार्थियों ने इस गलत प्रश्न को हल करने की कोशिश कि उन्हें ग्रेस मार्क्स देने की बात तो समझ आती है, लेकिन जिन्ह विद्यार्थियों ने इसे हल ही नहीं किया उन्हें किस बात के नंबर दिए जाएंगे। याचिकाकर्ता ने कहा कि सभी को नंबर दिए जाने से मेरिट लिस्ट की काया पलट हो जाएंगी और जो इन सूची में नहीं थे वह भी दूसरों को हटाकर इस सूची में आ जाएंगे। यह सिर्फ मेरा ही नहीं बल्कि तमाम विद्यार्थियों के अधिकार का हनन हैं।