राज्यसभा के वर्तमान डॉ. सुभाष चंद्रा और कांग्रेस के पूर्व लोकसभा सांसद नवीन जिंदल के बीच लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई का अंत हो गया है। जहां एक तरफ एस्सेल समूह के सुभाष चंद्रा ने शुक्रवार को ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी तो वहीं दूसरी तरफ उद्योगपति नवीन जिंदल ने भी ट्वीट कर यह जानकारी शेयर की। जिसके बाद से कयास लगाए लगाए जा रहे हैं कि नवीन जिंदल बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
I am happy that JSPL & Naveen Jindal have withdrawn FIR alleging extortion with Delhi Police against Zee & it’s editors, similarly Zee has agreed to withdraw all complaints & cases against JSPL & Naveen Jindal. I wish Naveen very best in his life.
— Subhash Chandra (@subhashchandra) July 13, 2018
दरअसल, सुभाष चंद्रा ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि मुझे खुशी है कि जेएसपीएल और नवीन जिंदल ने जी समूह और इसके संपादकों पर वसूली के आरोपों को लेकर दर्ज की गई FIR को दिल्ली पुलिस से वापिस ले लिया है। इसके बाद जी समूह भी जेएसपीएल और नवीन जिंदल के खिलाफ सभी शिकायतों और केस को वापिस लेने पर सहमत हो गया है, मैं नवीन के लिए सफलता की कामना करता हूं।
I am happy that JSPL & Naveen Jindal have withdrawn FIR alleging extortion with Delhi Police against Zee & it’s editors, similarly Zee has agreed to withdraw all complaints & cases against JSPL & Naveen Jindal. I wish Naveen very best in his life.
— Subhash Chandra (@subhashchandra) July 13, 2018
वहीं नवीन जिंदल ने सुभाष चंद्रा के ट्वीट का जवाब दिया और कहा कि हमारे बीच गलतफहमी से पैदा हुए सभी मतभेदों को हमने दूर करने का फैसला लिया है। उन सभी चीजों को मुझे पीछे छोड़ने में खुशी हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने सुभाष चंद्रा की ओर दी गई शुभकामओं के लिए धन्यवाद भी कहा। नवीन जिंदल ने इस ट्वीट को सुधीर चौधरी और जी न्यूज को भी टैग किया।
आपको बता दें कि साल 2013 में तब मीडिया, बिजनेस और सियासी गलियारों में सनसनी मच गई थी जब तत्कालीन सांसद नवीन जिंदल ने दिल्ली पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी और कहा था कि जी समूह के संपादकों ने कोयला घोटाला मामले में उनसे 100 करोड़ रुपए मांगे थे। पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर जी समूह के दो पत्रकारों को जेल भी भेज दिया था। नवीन जिंदल ने इस मामले में जी समूह के मालिक सुभाष चंद्रा को भी घसीटा था। जिसके बाद दोनों व्यावसायिक समूहों ने एक-दूसरे पर केस किया था।