शाहजहांपुर का पंडित रामप्रसाद बिस्मिल संयुक्त जिला अस्पताल अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है… महान स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर बने इस अस्पताल को देखकर आप समझ पाएंगे कि देश को आजादी तो मिल गई लेकिन रामप्रसाद बिस्मिल संयुक्त अस्पताल आज भी अव्यवस्था का गुलाम है…और यहां के मरीजों की जिंदगी दांव पर लगी है… 300 बिस्तर वाले इस अस्पताल की हकीकत देखकर आप हैरान रह जायेंगे… यहां इस वक्त 270 बिस्तरों पर हर तरह की बीमारी के मरीज भर्ती है… लेकिन उनकी देखभाल के लिए नाइट शिफ्ट में पूरे अस्पताल में कोई भी स्टाफ नर्स मौजूद नही रहती … यहां तक कि रात के वक्त आईसीयू में भी नर्स की कुर्सी खाली रहती है… नर्स के नहीं रहने की वजह से मरीजों का इलाज प्राइवेट वार्ड बॉय कर रहे है… इन्जेश्क्शन लगाने से लेकर सारी जिम्मेदारी अन्ट्रेन्ड वार्ड ब्वॉय के उपर है… सरकार बदली, नई सरकार आई… योगी सरकार के बने करीब एक साल हो गए लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के हालात नहीं बदले… शाहजहांपुर के इस सरकारी जिला अस्पताल में आज भी मरीजों की जिंदगी वॉर्ड ब्वॉय के भरोसे है…दवा बांटने से लेकर मरीजों को इंजेक्शन देना, सब कुछ वॉर्ड ब्वॉय के दवाले है…

वैसे तो वार्ड ब्वॉय का काम मरीजों के बिस्तर का रख रखाव और उनकी साफ सफाई करना होता है लेकिन यहां ये वार्ड ब्वॉय इन कामों के अलावा नर्स का काम भी खुद ही कर रहे है… इस अस्पताल में दो जनरल वार्ड के अलावा एक सर्जिकल वार्ड , एक आईसीयू  और एक स्पेशल वार्ड है लेकिन इमरजेन्सी को छोड़कर कही भी स्टॉफ नर्स नही है… एक नर्स की ही डयूटी है और वो भी घर पर आराम फरमा रही है। मरीज के तीमारदारों की माने तो वार्ड व्वॉय से इलाज करवाना उनकी मजबूरी है…

यहां ये हाल किसी एक दिन का नही है बल्कि रोज रात में यही आलम रहता है…नाइट शिफ्ट में यहां कोई नर्स नहीं रहती… एक तो स्टाफ नर्स की पहले से ही काफी कमी है और जो हां वो भी डयूटी पर मौजूद नहीं रहते…नर्सो का ड्यूटी पर नहीं आना और वार्ड ब्वॉय के भरोसे इलाज किया जाना एक गंभीर मामला है… हालांकि जब हमने मुख्य चिकित्साधिकारी से हकीकत बयां की तो उन्होंने पूरे मामले से खुद को अनजान बताया और जांच के बाद

योगी सरकार 19 मार्च को एक साल पूरी कर रही है… एक साल पूरे होने के जश्न की पूरी तैयारी है लेकिन इन एक साल में सूबे की स्वस्थ्य सुविधाओं में कुछ भी बदलाव नहीं हुआ… सरकार स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए दावे तो कर रही है लेकिन जमीनी हकीकत खुद शाहजहांपुर का जिला अस्पताल बयां कर रहा है… अन्ट्रेन्ड प्राईवेट कर्मचारी द्वारा इलाज किया जाना मरीज की जिन्दगी के साथ खिलवाड़ नहीं तो और क्या है…ऐसे में रात के वक्त रामप्रसाद बिस्मिल अस्पताल में मंडराती है मौत

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