55 साल बाद अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को 1962 में किये गए भूमि अधिग्रहण का मुआवजा मिल सकता है। दरअसल,1962 में चीन के साथ युद्ध के बाद भारतीय सेना ने अरुणाचल प्रदेश में भूमि अधिग्रहण कर लिया था। इस दौरान सरकार ने जमीन के बदले कोई मुआवजा वहां के निवासियों को नहीं दिया था। अब सरकार इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने जा रही है। मंगलवार को इस दिशा में केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री सुभाष भामरे, केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजजू और मुख्यमंत्री पेमा खांडु ने अधिकारियों के साथ बातचीत की।

किरण रिजिजू ने बताया कि बैठक में अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को जिनका सरकार ने 1962 में भूमि अधिग्रहित कर लिया था, मुआवजा देने की बात हुई। दरअसल यहां के लोगों में मुआवजा न मिलने पर अंसतोष पनप रहा था। वहीं सुभाष भामरे ने अपने मंत्रालय और अधिकारियों से राज्य के लंबित विषयों को बेहतर ढंग से निपटाने के लिए कहा है।

याद दिला दें कि अभी-अभी हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ढोला-सदिया सेतु का उद्घाटन किया। तकरीबन नौ किलोमीटर लंबे पुल को भूपेन हज़ारिका का नाम दिया। ढोला-सदिया सेतु देश का सबसे लंबा नदी पुल है जो लोहित नदी के ऊपर बना है जिसका एक छोर अरुणाचल प्रदेश के ढोला गांव में और दूसरा छोर असम के सदिया को जोड़ता है। लोहित ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी है। अरुणाचल के निवासियों और सेनाओं के लिए ये भी किसी बड़ी खुशखबरी से कम नहीं थी।

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