एक तरफ आरजेडी मोदी सरकार के खिलाफ गठबंधन की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ आरजेडी के अंदर ही कुछ बंधन टूटने की आशंका दिख रही है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व मंत्री तेजप्रताप यादव ने आखिरकार अपनी पार्टी के नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, तेज प्रताप ने एक ट्वीट के जरिए यह कहने की कोशिश की है कि वह राजनीति से संन्यास ले सकते हैं और ‘सबकुछ’ अपने भाई तेजस्वी के हाथों में सौंप सकते हैं। उऩका कहना है कि पार्टी के भीतर उनकी आवाज अनसुनी की जा रही है। इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि पार्टी के कुछ नेता दोनों भाइयों के बीच दरार डालने की भी कोशिश कर रहे हैं। हालांकि छोटे भाई से मनमुटाव के सवाल पर तेजप्रताप ने कहा कि तेजस्वी मेरा कलेजा का टुकड़ा है।

तेज प्रताप यादव कहते हैं कि मेरी बात को पार्टी के नेता नहीं सुनते। हम आरजेडी के किसी नेता को किसी काम के लिए फोन करते हैं तो रिस्पॉन्स नहीं दिया जाता।  आरजेडी नेता ने कहा कि तेजस्वी, मीसा और राबड़ी देवी और मेरा नाम लेकर पार्टी के लोग गलत काम करते हैं। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी का सम्मान करता हूं। तेजस्वी को गद्दी दे कर मैं द्वारिका चला जाउंगा लेकिन मैं कही भी जाउंगा राजनीति करूंगा। तेज प्रताप ने कहा हमें उन तत्वों को पार्टी से निकालना होगा, जो हमें तोड़ना चाहते हैं।

बता दें कि तेज प्रताप ने एक ट्वीट में लिखा, ‘मेरा सोचना है कि मैं अर्जुन को हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठाऊं और खुद द्वारका चला जाऊं। अब कुछएक ‘चुगलों’ को कष्ट है कि कहीं मैं किंगमेकर न कहलाऊं।’


तेज प्रताप के इस ट्वीट से कयास लगाए जा रहे हैं कि उनके और तेजस्वी के बीच कुछ गड़बड़ चल रही है। इस मसले पर तेजस्वी यादव की ओर से कोई प्रतिक्रिया अभी तक सामने नहीं आई है. आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद ने अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी अपने छोटे बेटे तेजस्वी प्रसाद यादव को बनाया है। यही कारण है कि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद तेजस्वी को जहां उपमुख्यमंत्री बनाया गया था, वहीं तेजप्रताप को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था।

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