
गुजरात में एक दर्दनाक हादसे में महिसागर नदी पर बना एक पुराना पुल ढह गया, जिससे कई वाहन नदी में जा गिरे। अब तक की जानकारी के अनुसार, इस दुर्घटना में 8 लोगों की जान चली गई है और कुछ अन्य को रेस्क्यू कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि घटनास्थल पर अफरा-तफरी मच गई, जबकि रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से जारी है।
जर्जर पुल बना हादसे की वजह
यह पुल वर्ष 1981 में बनकर 1985 में चालू हुआ था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इसकी हालत काफी खराब हो चुकी थी। हादसे के वक्त इस पुल से गुजर रहे पांच वाहन नदी में गिर गए, जिनमें दो ट्रक पूरी तरह बह गए और एक टैंकर पुल के किनारे लटक गया। स्थानीय लोगों और प्रशासन की मदद से कुछ लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
पहले दी जा चुकी थी चेतावनी
स्थानीय विधायक चैतन्य सिंह झाला ने इस पुल को लेकर पहले ही चिंता जताई थी और इसकी मरम्मत या नए पुल के निर्माण की मांग की थी। बावजूद इसके, पुल पर यातायात नहीं रोका गया। पुल के खतरे को देखते हुए कई बार अधिकारियों को सूचित किया गया था, लेकिन कार्रवाई नहीं हो सकी। हादसे के बाद राज्य सरकार ने 212 करोड़ रुपये की लागत से नए पुल के निर्माण को स्वीकृति दे दी है और इस पर सर्वेक्षण भी कराया जा चुका है।
सीएम ने दिए जांच के आदेश
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे की गंभीरता को देखते हुए तकनीकी विशेषज्ञों की एक टीम को मौके पर भेजकर जांच के निर्देश दिए हैं। सड़क एवं भवन विभाग के सचिव पीआर पटेलिया ने पुष्टि की कि पुल की क्षतिग्रस्त अवस्था की वजह से यह दुर्घटना हुई। फिलहाल, विशेषज्ञों की टीम घटनास्थल पर मौजूद है और दुर्घटना के कारणों की विस्तृत जांच की जा रही है।
बचाव कार्य युद्ध स्तर पर
पुल गिरते ही रेस्क्यू टीम और स्थानीय प्रशासन हरकत में आ गए। गोताखोरों की मदद से नदी में डूबे वाहनों की तलाश जारी है। कई शवों को बाहर निकाला गया है और घायलों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
सवालों के घेरे में अधोसंरचना
यह हादसा एक बार फिर से पुराने और खराब हो चुके ढांचों की निगरानी और मेंटेनेंस को लेकर सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल उठाता है। यदि पहले ही पुल की स्थिति को गंभीरता से लिया गया होता और यातायात रोका गया होता, तो शायद यह जानलेवा हादसा रोका जा सकता था। अब सबकी निगाहें जांच रिपोर्ट पर टिकी हैं कि आखिर इस दुखद घटना के पीछे असली जिम्मेदार कौन है और उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी।