महाराष्ट्र के किसान आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। किसानों की यह हड़ताल कर्जमाफी की मांग को लेकर की गई है। किसान राज्य की देवेंद्र फड़नवीस सरकार से यूपी की तर्ज़ पर कर्जमाफ़ी की मांग कर रहे हैं। किसानों का यह आन्दोलन पिछले कई दिनों से चल रहा है लेकिन किसानों ने आज से पूरे राज्य में दूध,फल,सब्जियों की आपूर्ति बंद करने का फैसला किया है। किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन करते हुए आज दूध को सड़कों पर बहा अपना विरोध दर्ज कराया है। किसानों ने सब्जियों से भरे ट्रक को भी जगह-जगह रोक सड़क पर फेंक कर प्रदर्शन भी किया है। किसानों के इस उग्र प्रदर्शन से राज्य भर में दूध और सब्जी की भारी किल्लत होने का अनुमान है।
प्रदर्शन कर रहे किसानों ने मांग की है कि राज्य सरकार किसानों का क़र्ज़ माफ करे और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करे। इसके अलावा किसानों ने खेती में उपजे अनाज का डेढ़ गुना भाव दिए जाने और किसानों के लिए पेंशन योजना शुरू करने की भी मांग की है। किसानों ने सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली और अनुदान राशि देने की भी मांग सरकार से की है। हालांकि किसानों की इस मांग पर सरकार की तरफ से अभी कोई जवाब नहीं आया है।
इस प्रदर्शन से पहले राज्य सरकार के कृषि मंत्री ने मंगलवार को किसानों से मुलाकात की थी। कृषि मंत्री अहमदनगर के पूणतांबा गांव में हड़ताल करने वाले किसानों से मिले थे। इसके बाद मुंबई में किसानों और मुख्यमंत्री के बीच चर्चा हुई, लेकिन इस चर्चा से कोई हल नहीं निकल सका था। जिसके बाद आज से किसानों ने दूध और सब्जियां नहीं बेचने का फैसला किया है।
प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि पूरे राज्य में क़र्ज़ से परेशान किसान आत्महत्या कर रहे हैं। किसानों को उनकी फसल की सही कीमत भी नहीं मिल रही है। ऐसे में राज्य सरकार को उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए था। लेकिन वार्ता के दौरान किसानों की मांग पर कोई भी सकरात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। जिसके बाद किसानों को हड़ताल करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। आपको बता दें कि इससे पहले 1933 में भी महाराष्ट्र के अलीबाग में किसानों ने उग्र प्रदर्शन किया था लेकिन वह असफल रहा था और किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
किसानों की हड़ताल के बीच राज्य भर में दूध और सब्जी की आपूर्ति लगभग ठप हो गई है। इसका फायदा बिचौलिए और मुनाफाखोर उठाने भी लगे हैं। सब्जियों और दूध की कमी को देखते हुए ऐसे लोग जहाँ भारी कीमत वसूल रहे हैं वहीँ किसानों की मांग और राज्य सरकार के बीच आम जनता परेशान होती नजर आ रही है।