‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारत ने पहलगाम हमले के जवाब में जो सटीक सैन्य कार्रवाई की, उसमें नौ आतंकी शिविरों और प्रशिक्षण केंद्रों को निशाना बनाया गया। सरकार ने बुधवार सुबह बताया कि यह कार्रवाई “संयमित, गैर-उत्तेजक, तुलनात्मक और जिम्मेदार” प्रतिक्रिया थी, जो पाकिस्तान द्वारा निरंतर जारी सीमा पार आतंकवाद और भारत पर हमलों के समर्थन के जवाब में की गई।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि इन लक्ष्यों का चयन “विश्वसनीय खुफिया सूचनाओं” के आधार पर किया गया था और इनका उद्देश्य “आतंकी ढांचे को ध्वस्त करना और आतंकवादियों को निष्क्रिय करना” था।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ — 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद भारतीय सेना का पहला त्रिसेना (थल, वायु और नौसेना) मिशन — भारत के आत्मरक्षा और सीमा पार आतंकवाद को पहले ही रोकने के अधिकार का प्रतीक भी था।
इस ऑपरेशन पर सेना ने भी बयान दिया। उन्होंने उन ठिकानों और पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों के बीच संबंधों को उजागर किया, जो भारत में हमलों में शामिल रहे हैं। इनमें से एक आतंकी शिविर,मुरिदके में स्थित था, जो लाहौर से 40 किलोमीटर उत्तर में है।
मुरिदके में लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी प्रशिक्षण अड्डा था, जहां 26/11 मुंबई हमलों के आतंकवादी अजमल कसाब और डेविड हेडली को प्रशिक्षित किया गया था।
लश्कर का एक संगठनात्मक रूप, जो स्वयं को ‘द रेज़िस्टेंस फ्रंट’ कहता है, ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी।
अन्य जिन आतंकी अड्डों को निशाना बनाया गया उनमें पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का बहावलपुर भी शामिल था। यह जैश-ए-मोहम्मद का मुख्यालय था । इस संगठन का नेतृत्व आतंकी मसूद अज़हर करता है।