गुरुग्राम: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक जनता पार्टी (इनेलो) के वरिष्ठ नेता ओमप्रकाश चौटाला का गुरुवार को गुरुग्राम स्थित अपने निवास पर निधन हो गया। 89 वर्षीय ओमप्रकाश चौटाला ने अपने लंबे राजनीतिक जीवन में हरियाणा की राजनीति में गहरी छाप छोड़ी। उनके निधन से राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई है।
जीवन और करियर का सफर
ओमप्रकाश चौटाला का जन्म 1 जनवरी 1933 को हरियाणा के सिरसा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता, चौधरी देवी लाल, हरियाणा के प्रमुख राजनीतिक व्यक्तित्व थे और देश के उपप्रधानमंत्री भी रहे। अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाते हुए, ओमप्रकाश चौटाला ने 1989 से 2005 के बीच चार बार हरियाणा के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। उनके मुख्यमंत्री पद का कार्यकाल इस प्रकार था:
- 2 दिसंबर 1989 से 22 मई 1990 तक
- 12 जुलाई 1990 से 17 जुलाई 1990 तक
- 22 मार्च 1991 से 6 अप्रैल 1991 तक
- 24 जुलाई 1999 से 5 मार्च 2005 तक
राजनीतिक उपलब्धियां और संघर्ष
हालांकि उनका राजनीतिक जीवन कई उपलब्धियों से भरा रहा, परंतु विवादों से अछूता नहीं रहा। 2013 में, शिक्षक भर्ती घोटाले में उन्हें सजा सुनाई गई, जिसके बाद उन्होंने जेल में समय बिताया। इस घटना ने उनके राजनीतिक जीवन को एक बड़ा झटका दिया। बावजूद इसके, चौटाला परिवार और उनकी पार्टी इनेलो ने हरियाणा की राजनीति में अपनी स्थिति को बनाए रखा। उनके जीवन के इन संघर्षों ने उन्हें एक ऐसा व्यक्तित्व बनाया, जिसने हमेशा विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी मजबूती और नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया।
पारिवारिक जीवन
चौटाला का पारिवारिक जीवन भी राजनीति से गहराई से जुड़ा रहा। उनके बेटे अजय चौटाला और अभय चौटाला ने भी राजनीतिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है। चौटाला परिवार ने हरियाणा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और राज्य की राजनीति को आकार देने में मदद की। ओमप्रकाश चौटाला का जीवन न केवल उनके व्यक्तिगत संघर्षों और उपलब्धियों का प्रतीक है, बल्कि यह हरियाणा की राजनीति के एक महत्वपूर्ण अध्याय को भी दर्शाता है। उन्होंने हरियाणा की जनता के लिए जो काम किए, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बने रहेंगे। उनकी नीतियों और कार्यों का प्रभाव आज भी हरियाणा के कई क्षेत्रों में देखा जा सकता है। उनका निधन राज्य की राजनीति के लिए एक बड़ी क्षति है।
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का निधन न केवल उनके परिवार और समर्थकों के लिए, बल्कि पूरे राज्य और देश की राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और राजनीतिक कुशलता का अद्वितीय उदाहरण है। उनके द्वारा किए गए कार्य और उनकी स्मृतियां हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहेंगी।