चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को दी गई ईवीएम हैक करने की चुनौती के बीच आज कई राजनीतिक दल ईवीएम हैक करने की कोशिश में लगे हैं। इस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली स्थित चुनाव आयोग के मुख्यालय में हो रहा है।
इस चुनौती में केवल दो पार्टियां एनसीपी और सीपीआई (एम) हिस्सा ले रही हैं। इस चुनौती में एनसीपी से वंदना हेमंत चव्हाण, गौरव जयप्रकाश जाचक और यासीन हुसैन शेख विशेषज्ञ के साथ प्रतिनिधि के रूप में शामिल हुए हैं।
यह चुनौती सुबह 10 बजे से 2 बजे तक जारी रहेगी। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने शुक्रवार को चुनाव आयोग के ईवीएम चुनौती के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट का कहना है कि चुनाव आयोग को पूरा अधिकार है कि वह अपना संदेह दूर करे। हाई कोर्ट के इस फैसले को आयोग की जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
चुनाव आयोग ने चुनौती के लिए उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड से 14 ईवीएम मशीनें मंगाई गई हैं जिनका उपयोग हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में किया गया था।
भारतीय चुनाव आयोग के प्रवक्ता ने कहा, ‘ईवीएम चुनौती अपने निर्धारित तारीख पर है। यह सुबह 10 बजे शुरू होगी और दोपहर 2 बजे तक चलेगी। एनसीपी और सीपीआई (एम) ने अपने तीन-तीन प्रतिनिधियों को नॉमिनेट किया है। यह चुनौती दो अलग-अलग हॉल में एक साथ होगी।’
बता दें कि आम आदमी पार्टी (आप) ने ईवीएम का मदरबोर्ड बदलने की इजाजत मांगी थी, लेकिन आयोग ने इसे खारिज कर दिया था। जवाब में कहा कि अगर मदरबोर्ड ही बदल दिया तो वो असली ईवीएम कैसे रहेगा?
चुनाव आयोग ने आरोप लगाने वाले दलों को चुनौती दी कि वे यह साबित करके दिखाएं कि ईवीएम से छेड़छाड़ हो सकती है। चुनौती में आगे आई एनसीपी और सीपीआई (एम) चार घंटे के दौरान साबित करना होगा कि ईवीएम से छेड़छाड़ करके चुनाव परिणाम को प्रभावित किया जा सकता है।
यह दो चरणों में होगा। पहले चरण में पार्टियों को यह साबित करना होगा कि ईवीएम में छेड़छाड़ करके प्रत्याशी या पार्टी विशेष को फायदा पहुंचाया गया। उन्हें कंट्रोल यूनिट में मौजूद परिणाम को बदलकर दिखाना होगा। इसके लिए वह मशीनों के बटनों का इस्तेमाल कर सकेंगे। साथ ही मोबाइल व ब्लूटूथ जैसी डिवाइस के प्रयोग की भी आजादी होगी। दूसरे चरण में उन्हें साबित करना होगा कि विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल की गई मशीनों में चुनाव से पहले छेड़छाड़ की गई थी। दोनों दलों के लिए दो अलग-अलग काउंटर स्थापित किए जा रहे हैं।