मॉब लिंचिंग पर संसद से लेकर सड़क तक सियासी घमासान मचा हुआ है। विपक्ष सत्ता पक्ष पर देश के माहौल को खराब करने का आरोप लगा रहा है। सांप्रदायिक जहर में डूबे सियासी शब्द बाण से वोट के लक्ष्य को साधने की कोशिश हो रही है तो सरकार की तरफ से पलटवार किए जा रहे हैं। वहीं, मॉब लिंचिंग की घटनाएं भी हो रही हैं।सियासी गर्मागर्मी के बीच ऐसी ही एक घटना मध्य प्रदेश के सिंगरौली में सामने आई। जहां बच्चा चोर के शक में पकड़ी गई महिला को भीड़ ने पीट-पीट कर मौत के घाट उतार दिया।
मानसिक रूप से कमजोर बताई जा रही महिला सिंगरौली जिले के मोरवा थाना क्षेत्र के गांव के पास दिखाई दी तो लोगों को उस पर बच्चा चोर होने का शक हुआ। फिर क्या था दोनों ही गांवों के लोग एक विक्षिप्त महिला पर टूट पड़े। लाठी डंडों ,लात घूंसों से उसकी जमकर पिटाई की। भीड़ में बहादुर बना हर शख्स मानों महिला को मारकर कोई तमगा लेना चाहता था। किसी ने भी महिला के हालात पर गौर करने की जरूरत नहीं समझी। पहले गांव में फिर जंगल में महिला को लेकर जाकर उसकी पिटाई कीऔर जब उसकी जान निकल गई तो उसके हाथ बांधकर नाले में फेंक दिया। अगर किसी ने महिला को बचाने की कोशिश भी की तो उसे भी रोक दिया गया।
ये घटना पिछले हफ्ते की है। सूचना मिलते ही पुलिस तुंरत हरकत में आई। एसपी समेत आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और मामले की जांच पड़ताल की। महिला की हत्या में शामिल चौदह लोगों की पहचान हुई, जिसमें पुलिस ने 12 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। दो आरोपियों की पुलिस तलाश कर रही है और मामले की आगे की जांच में भी जुटी है। ऐसे समय में जब देश भर में संसद से लेकर सड़क तक और सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक मॉब लिंचिंग को लेकर जंग और बहस छिड़ी है।
इस तरह की घटनाएं वास्तव में बहुत ही गंभीर हैं। ऐसा नहीं है कि इस तरह की घटनाएं पूर्व नियोजित होती हैं। जानकारी और जागरूकता के अभाव में एक अफवाह के पीछे एक बार जो भीड़ भागने लगती है तो फिर किसी की नहीं सुनती।कितना अच्छा होता अगर सियासी पार्टियां मॉब लिंचिंग पर एक दूसरे को नीचा दिखाने में अपनी ऊर्जा लगाने की जगह लोगों को जागरूक करने में अपनी क्षमता और संपर्कों का इस्तेमाल करते।
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन