दिल्ली के गांधी विहार में कुछ सप्ताह पहले लगी आग का राज जैसे ही सामने आया, पुलिस भी हैरान रह गई। जिस कमरे को अब तक आग से हुई दुर्घटना बताया जा रहा था, वह वास्तव में एक सोची-समझी हत्या का सीन था, जिसे किसी आम अपराधी ने नहीं बल्कि फॉरेंसिक साइंस पढ़ने वाली छात्रा ने डिजाइन किया था। प्लान इतना ‘क्लीन’ था कि पहली नज़र में यह हादसा ही लगा, लेकिन जांच के दौरान एक डिजिटल चूक ने सारी परतें खोल दीं।
हादसा नहीं, सोची-समझी ‘क्राइम सेटिंग’
6 अक्टूबर 2025 की सुबह चौथे माले से धुआं उठता देखा गया। सबको लगा गैस लीक का हादसा है। आग बुझी तो कमरे से एक झुलसा हुआ शव मिला – पहचान हुई रामकेश मीना (32) के रूप में, जो यूपीएससी की तैयारी कर रहा था। कमरे का हाल देखकर पुलिस को शक हुआ कि यह महज एक्सीडेंट नहीं हो सकता।
सीसीटीवी फुटेज बना ‘गवाह’
जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, सीसीटीवी ने पूरा क़िस्सा बयां कर दिया। 5 अक्टूबर की रात दो लोग अपने चेहरे ढके इमारत में दाखिल हुए और कुछ समय बाद सिर्फ एक व्यक्ति निकला। ठीक रात 2:57 बजे एक युवती बाहर जाते दिखाई दी, जिसकी पहचान अमृता चौहान (21) के रूप में हुई। वहीं मोबाइल लोकेशन ने भी पुष्टि कर दी कि अमृता उस रात वही मौजूद थी। यहीं से ‘परफेक्ट क्राइम’ का भ्रम टूटने लगा।
किताबों से क्राइम सीखकर असलियत में उतार दिया
अमृता फॉरेंसिक साइंस की छात्रा है। पुलिस पूछताछ में उसने कबूल किया कि उसने अपने एक्स-बॉयफ्रेंड सुमित कश्यप (एलपीजी डिस्ट्रीब्यूटर) और संदीप कुमार (SSC अभ्यर्थी) के साथ मिलकर हत्या की साज़िश रची थी। वजह सामने आई – बदला।
रामकेश कथित तौर पर उसके प्राइवेट फोटो-वीडियो डिलीट करने से मना कर रहा था, जिसके बाद अमृता ने उसे खत्म करने की योजना बना ली।
‘एक्सीडेंट’ का भ्रम रचने की पूरी तैयारी
पुलिस के मुताबिक 5-6 अक्टूबर की रात तीनों ने पहले रामकेश का गला दबाकर मार डाला। फिर शव पर तेल, घी और वाइन डालकर उसे इस तरह जलाया कि आग तेज़ी से फैले। सुमित ने सिलेंडर का नॉब खोलकर गैस छोड़ी और फिर आग लगा दी। अमृता ने अंदर से ग्रिल हटाकर कमरे को लॉक कर दिया ताकि बाद में यह गैस ब्लास्ट का केस लगे। कुछ देर बाद धमाका हुआ और सबको लगा कि यह महज दुर्घटना है।
पुलिस की स्मार्ट जांच से टूटी ‘परफेक्ट प्लानिंग’
- 17 दिन बाद राज़ खुल गया।
- 18 अक्टूबर को अमृता को मुरादाबाद से गिरफ्तार किया गया।
- फिर 23 अक्टूबर तक सुमित और संदीप भी पुलिस की पकड़ में आ गए।
- छापेमारी के दौरान उनके पास से हार्ड डिस्क, ट्रॉली बैग और मृतक की शर्ट मिली।
- तकनीकी सर्विलांस और सीसीटीवी एनालिसिस ने साफ़ कर दिया कि यह “हादसा” नहीं बल्कि एक वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया मर्डर प्लान था।









