भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने मंगलवार को देश की सुरक्षा रणनीति पर बड़ा बयान दिया और चीन-पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष संदेश भी दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि भारत हमेशा शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन केवल शांति की इच्छा पर्याप्त नहीं है। ताकत और तैयारी के बिना शांति महज एक कल्पना बनकर रह जाती है।
“शांति की रक्षा के लिए ताकत जरूरी”
सीडीएस चौहान ने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय राष्ट्र है, लेकिन इसे किसी भी स्थिति में कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा— “अगर शांति चाहते हो तो युद्ध के लिए तैयार रहो।” यह संदेश इस बात का संकेत है कि भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को रणनीतिक शक्ति और सैन्य तैयारी दोनों की जरूरत है।
ऑपरेशन सिंदूर से मिली अहम सीख
जनरल चौहान ने अपने संबोधन में हाल ही के ऑपरेशन सिंदूर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह एक आधुनिक संघर्ष था, जिससे कई महत्वपूर्ण सबक मिले। इस ऑपरेशन के बाद कई सुधार लागू किए जा चुके हैं और कुछ पर अभी काम जारी है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा चर्चा का उद्देश्य ऑपरेशन सिंदूर का विश्लेषण करना नहीं, बल्कि आगे की रक्षा रणनीति पर विचार करना है।
सुदर्शन चक्र: भारत की नई रक्षा कवच
सीडीएस ने देश की नई रक्षा प्रणाली ‘सुदर्शन चक्र’ पर भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर इसका जिक्र किया था और लक्ष्य रखा था कि 2035 तक यह प्रणाली पूरी तरह तैयार हो जाएगी।
यह अत्याधुनिक सिस्टम भारत के महत्वपूर्ण सैन्य ठिकानों, राष्ट्रीय धरोहरों और नागरिक स्थलों को सुरक्षा कवच प्रदान करेगा। चौहान के अनुसार, यह रक्षा रणनीति भारत को आने वाले समय में नई दिशा और मजबूती देगी।
कुल मिलाकर, CDS अनिल चौहान का यह संदेश साफ है— भारत शांति का समर्थक है, लेकिन शांति बनाए रखने के लिए शक्ति और तैयारी दोनों आवश्यक हैं।