रेलवे सुरक्षा आयोग ने अमृतसर हादसे की जांच में रेलवे को क्लीन चिट दी है। आयोग के आयुक्त एसके पाठक ने कहा कि लोगों की गलती की वजह से ये दुखद घटना हुई क्योंकि वे रेलवे ट्रैक पर खड़े होकर दशहरा देख रहे थे। 19 अक्टूबर को फिरोजपुर रेलवे स्टेशन के करीब जौड़ा फाटक पर दशहरा देख रहे लोगों को ट्रेन ने कुचल दिया था। हादसे में 60 लोगों की जान गई थी।
मुख्य रेलवे सुरक्षा आयुक्त एसके पाठक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, मेरे सामने अब तक जो तथ्य और हालात सामने आए हैं, उन पर विचार करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि 19 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 55 मिनट पर फिरोजपुर मंडल के अमृतसर के निकट जोड़ा फाटक पर हुआ ट्रेन हादसा उन लोगों की लापरवाही का नतीजा है, जो दशहरा का मेला देखने के लिए पटरी पर खड़े थे। पाठक ने इस घटना को “रेलवे लाइन के किनारे लोगों की कार्यशैली में गलती’ के तौर पर वर्गीकृत किया है।
उन्होंने कुछ सुझाव भी दिए ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को टाला जा सके। यह आयोग नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन काम करता है। आयोग रेलवे सुरक्षा और कार्यप्रणाली से जुड़े मसलों पर काम करता है और इसे रेल हादसों की जांच का जिम्मा भी सौंपा जाता है। पहले रेलवे ने इस मामले में जांच से इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में आयोग को जांच सौंपी।
पाठक ने कहा- जांच के दौरान मुझे ये पता चला कि एस (S) आकार का मोड़ होने की वजह से हादसे की जगह तब तक नहीं दिख सकती थी, जब तक ट्रेन उस जगह से 20 मीटर की दूरी पर ना पहुंच जाए। और, यह हादसा उस वक्त हुआ, जब रावण का पुतला जलने की वजह से हवा में धुआं घुल गया था। जहां हादसा हुआ, रेलवे के उस सेक्शन में 100 किमी/घंटा की रफ्तार की इजाजत होती है। हादसे के वक्त ट्रेन 82 किमी/घंटा की रफ्तार से चल रही थी। चालक ने भीड़ को देखा और ब्रेक लगाए। पूछताछ के दौरान सामने आया कि ब्रेक लगाने पर ट्रेन को रुकने के लिए 398 मीटर की दूरी चाहिए थी। घटनास्थल पर 50 पुलिसकर्मी मौजूद थे। उन्होंने लोगों को ट्रैक से हटाने की कोशिश की, लेकिन लोग नहीं माने।