अजमेर की दरगाह हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान के ‘गौ हत्या’ वाले बयान ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सैयद जैनुल के भाई अलाउद्दीन आलिमी ने उन्हें दरगाह के दीवान पद से हटा दिया। जैनुल को पद से हटाने के बाद अलाउद्दीन ने खुद को दरगाह का दीवान घोषित कर दिया है। अलाउद्दीन ने सैयद जैनुल के बीफ पर दिए बयान के एक दिन बाद यह ऐलान किया। जैनुल ने तीन तलाक को भी इस्लाम विरोधी बताया था।

सैयद जैनुल ने कहा था कि गाय के मांस को लेकर देश में दो समुदायों के बीच नफरत पनप रही है। ऐसे में सरकार को देश में गोवंश की सभी प्रजातियों के वध पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।   उन्होंने मुस्लिमों से भी गोमांस न खाने की अपील की थी।

सैयद जैनुल ने एक बड़ा ऐलान किया था। उन्होंने खुद गोमांस का सेवन न करने की घोषणा की। उन्होंने कहा था, “मैं और मेरा परिवार गोमांस का सेवन त्यागने की घोषणा करता हूं।

दरगाह के 805वें सालाना उर्स के समापन के समय दरगाह के दीवान सैयद जैनुल ने गोहत्या पर अपनी राय रखी थी। उन्होंने कहा कि गोमांस से दो समुदायों के बीच दूरियां आई हैं। भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को ठेस पहुंची है। मुस्लिमों को बीफ के सेवन को त्याग देना चाहिए।

सैयद जैनुल ने कहा कि गाय को सिर्फ एक जानवर न समझें बल्कि यह हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। गाय और उसके वंश को बचाने की योजना बननी चाहिए। साथ ही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए।

सैयद जैनुल ने तीन तलाक के तरीके को भी इस्लाम विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि इस्लाम में महिलाओं को सम्मान दिया गया है। ऐसे में शरियत का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और तीन तलाक के नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न नहीं करना चाहिए।

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