लोकसभा में चुनावी सुधारों (SIR) पर चल रही बहस के दौरान समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कन्नौज से सांसद अखिलेश यादव ने रामपुर उपचुनाव का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि उपचुनाव के दिन प्रशासन और पुलिस की भूमिका निष्पक्ष नहीं थी, जिससे चुनाव प्रक्रिया प्रभावित हुई।
“वोटिंग के दिन पुलिस रोक रही थी मतदाताओं को”—अखिलेश
सपा अध्यक्ष ने कहा कि रामपुर उपचुनाव के दौरान हालात बेहद गंभीर थे। मतदान वाले दिन उन्होंने खुद देखा कि किस तरह प्रशासन लोगों को घर से बाहर निकलने से रोकने की कोशिश कर रहा था।
उन्होंने कहा कि “पहली बार बीजेपी ने वहां जीत दर्ज की। हमने हर छोटी-बड़ी घटना की जानकारी चुनाव आयोग को दी, लेकिन फिर भी आयोग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई।”
कांग्रेस से मुकाबले से बीजेपी तक का सफर
अखिलेश यादव ने कहा कि पहले संघर्ष कांग्रेस से होता था, लेकिन अब बीजेपी से सीधे लड़ाई है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस अयोध्या से “कम्यूनल माहौल” तैयार किया गया, उसी अयोध्या की सीट से सपा उम्मीदवार अवधेश प्रसाद की जीत हुई है।
अयोध्या और फर्रूखाबाद उपचुनाव पर भी आरोप
सपा प्रमुख ने यूपी में पिछले एक वर्ष के भीतर हुए उपचुनावों का हवाला दिया और अयोध्या जिले की मिल्कीपुर सीट पर हुए बाय-इलेक्शन में भी धांधली के आरोप लगाए।
उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनाव में फर्रूखाबाद सीट का उदाहरण देते हुए कहा कि परिणाम बदलने के लिए लाठीचार्ज तक किया गया, बिजली काटी गई और मतदाताओं को परेशान किया गया।
“उपचुनावों में वोट चोरी नहीं, वोट की डकैती”—सपा प्रमुख
अखिलेश यादव ने कहा कि हाल के उपचुनावों में जो हुआ, वह “वोट चोरी” नहीं बल्कि “वोट की डकैती” थी।
उन्होंने मांग की कि चुनाव के दौरान सभी राजनीतिक दलों को समान अवसर मिलना चाहिए। सोशल मीडिया पर विपक्ष की छवि खराब करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं, और इस पर रोक लगनी चाहिए।
बिहार चुनाव का उदाहरण भी दिया
उन्होंने बिहार विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि “महिलाओं के खातों में चुनाव से पहले 10,000 रुपये भेजे गए।” अखिलेश ने सवाल उठाया कि “अगर सरकार ऐसा कर सकती है, तो अन्य लोगों को लाभ देने पर रोक क्यों लगाई जाती है?” उनका कहना था कि चुनाव के दौरान अचानक खातों में आने वाला पैसा चिंता का विषय है।









