शनिवार को विचारमंथन फोरम के मुख्य विचारक राकेश कुमार सिंह द्वारा विचारमंथन फोरम के मंच से वित्तीय प्रजातंत्र पर एक पैनल डिस्कशन का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता श्री देवदत्त शर्मा (रिटायर्ड आईएएस) ने की, जबकि श्री ओमवीर सिंह और श्री मनोज कुमार शर्मा ने विशेषज्ञों के प्रश्नों के उत्तर देकर अहम भूमिका निभाई।
इस कार्यक्रम की विषय की भूमिका थी कि पिछले 75 वर्षों में समस्या सरकारों द्वारा बजट के माध्यम से वित्तीय अधिकारों को केन्द्रित कर प्रजातंत्र को कमजोर किया गया है। इसपर, दिनांक-22 फरवरी 2025 को सेक्टर 37 में एक पैनल डिस्कशन भी किया गया। इस दौरान, राकेश कुमार सिंह (R.K Singh) ने वित्तीय प्रजातंत्र की आवश्यकता से लेकर इसके लाभ और चुनौतियों पर अपने विचार सांझा किए, जिन्हें हम संक्षेप में हम वर्णित कर रहे हैं।
विचारमंथन फोरम के मुख्य विचारक श्री राकेश कुमार सिंह ने कहा, “वित्तीय प्रजातंत्र एक ऐसी प्रणाली है जिसमें करदाताओं को अपने कर के उपयोग में अधिकार प्रदान किया जाता है। यह प्रणाली सुनिश्चित करती है कि करदाताओं के पैसे का उपयोग उनकी पसंद के अनुसार किया जाए और सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में पारदर्शिता और जवाबदेही हो। हालांकि, वित्तीय प्रजातंत्र की कई चुनौतियाँ हैं, लेकिन इसके लाभ भी बहुत हैं।”
वित्तीय प्रजातंत्र की आवश्यकता
राकेश कुमार सिंह ने कहा कि वर्तमान में, करदाताओं के पास अपने कर के उपयोग में कोई अधिकार नहीं है। सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में करदाताओं की पसंद और प्राथमिकताओं को ध्यान में नहीं रखा जाता है। इससे करदाताओं में असंतुष्टता और अविश्वास पैदा होता है।
इसके अलावा, उन्होंने वित्तीय प्रजातंत्र के लाभ, प्रक्रिया और चुनौतियों पर भी बात की।
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वित्तीय प्रजातंत्र के लाभ
वित्तीय प्रजातंत्र के कई लाभ:
- करदाताओं को अपने कर के उपयोग में अधिकार मिलता है।
- सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ती है।
- करदाताओं की पसंद और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखा जाता है।
- सरकार को करदाताओं की जरूरतों और अपेक्षाओं को समझने में मदद मिलती है।
वित्तीय प्रजातंत्र की प्रक्रिया
वित्तीय प्रजातंत्र की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
- करदाता अपने कर के चालान में कर के उपयोग की रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य, रेल, रोड, और संचार आदि पर अपने कर के प्रतिशत को निश्चित करता है।
- समस्त करदाताओं के योग पर संसद विचार करती है।
- सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट के प्रतिशत खर्चे का मिलान करके बजट पास होता है।
- पिछले बजट के खर्चों से होने वाले लाभ हानि पर चर्चा होती है।
वित्तीय प्रजातंत्र की चुनौतियां
वित्तीय प्रजातंत्र की कई चुनौतियां हैं:
- करदाताओं को अपने कर के उपयोग में अधिकार देने के लिए एक जटिल प्रणाली की आवश्यकता होती है।
- सरकार द्वारा प्रस्तावित बजट में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है।
- करदाताओं की पसंद और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखना एक जटिल काम है।