Gangaur Teej 2022: हिंदू शास्त्र में गणगौर तीज का बहुत महत्व है। हिंदू पंचाग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर पर्व मनाया जाता है। गणगौर तीज को सौभाग्य तृतीया के नाम से भी जाना जाता है। ये पर्व राजस्थान में मुख्य रूप से मनाया जाता है। इसके अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात आदि प्रदेशों भी महिलाएं इस पर्व को श्रद्धापूर्वक मनाती हैं। गणगौर की पूजा दोपहर में की जाती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार गणगौर तीज के दिन ईसर देव यानी भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है। वैसे तो इस त्योहार की शुरुआत होली के दूसरे दिन से ही हो जाती है, जिसके बाद यह अगले सोलह दिनों तक मनाया जाता है। सोलह दिनों के बाद चैत्र शुक्ल की तृतीया को ये पूर्ण होता है।

कहा जाता है कि, गणगौर तीज के दिन भगवान शिव और पार्वती ने सभी प्राणियों को सौभाग्य का वरदान दिया था। इसलिए इस दिन शादीशुदा सुहागिन महिलाएं व्रत रखती है।
Gangaur Teej 2022: शुभ मुहूर्त
गणगौर का व्रत उदयातिथि के अनुसार रखा जाता है। उदयातिथि 4 अप्रैल को होने के कारण व्रत भी 4 अप्रैल को ही रखा जाएगा। गणगौर पूजा, तृतीया तिथि 3 अप्रैल, 2022 रविवार को दोपहर 12:38 बजे से आरंभ हुई है। यह 4 अप्रैल, 2022 सोमवार को दोपहर 01:54 बजे तक रहने वाली है।

गणगौर तीज की पूजा विधि
1- गणगौर के व्रत के दिन शुद्ध, साफ मिट्टी से भगवान शिव और माता गौरी की आकृतियां बनाई जाती हैं।
2- मिट्टी से भगवान शिव और मां पार्वती की बनाई गई आकृति को घर के किसी पवित्र कमरे में एक पवित्र स्थान पर रखा जाता है।

3- इसके बाद इस पर हल्दी, चंदन, कपूर, केसर लगाया जाता है।
4- इसके बाद मां पर सुहाग की वस्तुएं जैसे कांच की चूड़ियां, महावर, सिन्दूर, रोली, मेहंदी, टीका, बिंदी, कंघा, शीशा, काजल अर्पित किया जाता है।

5- पूजन के समय मां गौरी जी की व्रत कथा का श्रवण किया जाता है।
6- कथा के बाद महिलाएं, मां को अर्पित किए गए सिंदूर से अपनी मांग भरती हैं।

7- इसके बाद दिन में एक बार ही भोजन किया जाता है और व्रत का पारण करते हैं।
8- मान्यता है कि गणगौर का प्रसाद पुरुषों के लिए वर्जित है।
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