सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार और भारतीय रिर्जव बैंक (आरबीआई) से जवाब तलब किया है। उसने लोगों को नोटबंदी के बाद अमान्य हुए 500 और 1000 रूपये के नोटों को 31 दिसंबर के बाद जमा करने का मौका क्यों नहीं प्रदान किया। मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह खेहर, न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायाधीश संजय किशन कौल की तीन सदस्यीय बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा कि जो लोग 31 दिसंबर तक पुराने नोट नहीं जमा करा पाए, उनके लिए ऐसी व्यवस्था का प्रावधान क्यों नहीं किया गया।
अदालत ने सरकार को इस संबंध में शपथपत्र दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय भी दिया है। मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी। मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी।
अदालत ने सवाल किया, “आपने (कानून के तहत) एक और खिड़की खोलने का विकल्प क्यों नहीं दिया। आपके पास 20 कारण हो सकते हैं।” अदालत ने यह सवाल तब पूछा, जब अर्टानी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि संसद ने सरकार को विकल्प दिया था, लेकिन सरकार ने उसे नहीं अपनाने का फैसला किया, क्योंकि उसे ऐसा करना उचित नहीं लगा।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की थी। जिसके बाद आरबीआई ने 500 और 1000 के नोट जमा कराने की अवधि पहले 31 मार्च 2017 तक बताया था, लेकिन बाद में 31 दिसंबर 2016 से ही पुराने नोट लेना बंद कर दिया था। आरबीआई के इस फैसले से लाखों लोगों को दिक्कत हुई और वो अपना पैसा बैंक में जमा नहीं कर पाए। आरबीआई ने एक अधिसूचना जारी कर कहा कि एनआरआई या ऐसे लोग जो उस दौरान देश के बाहर थे, 31 मार्च 2017 तक पुराने नोटों को बदल सकेंगे।