रूसी तेल से दूरी पड़ सकती है महंगी, भारत को झेलना पड़ सकता है अरबों डॉलर का नुकसान

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रूसी तेल से दूरी पड़ सकती है महंगी, भारत को झेलना पड़ सकता है अरबों डॉलर का नुकसान
रूसी तेल से दूरी पड़ सकती है महंगी, भारत को झेलना पड़ सकता है अरबों डॉलर का नुकसान

अगर भारत अमेरिकी दबाव में आकर रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद करता है, तो इसका आर्थिक प्रभाव बहुत भारी हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसा कदम भारत के वार्षिक कच्चे तेल आयात बिल को 9 से 11 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ा सकता है। गौरतलब है कि भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश है।

फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद जब पश्चिमी देशों ने मास्को पर प्रतिबंध लगाए, तब भारत ने रूस से सस्ता तेल खरीदकर बड़ा मुनाफा कमाया। लेकिन अब, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ और रूस से तेल व हथियारों की खरीद पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी के चलते परिस्थितियां बदल गई हैं।

अब तक जुर्माने की राशि स्पष्ट नहीं

हालांकि 25 प्रतिशत टैरिफ की अधिसूचना अमेरिका द्वारा जारी कर दी गई है, लेकिन रूसी व्यापार पर संभावित जुर्माने की राशि अभी तय नहीं की गई है। केप्लर संस्था के वरिष्ठ विश्लेषक सुमित रिटोलिया ने इस हालात को “दोतरफा दबाव” बताया है। उन्होंने कहा कि एक ओर यूरोपीय प्रतिबंध भारत की रिफाइनिंग इंडस्ट्री पर असर डाल सकते हैं, तो दूसरी ओर अमेरिकी कार्रवाई से रूसी तेल व्यापार की संरचना अस्थिर हो सकती है।

रिटोलिया के अनुसार, इससे भारत की तेल खरीद की लचीलापन खत्म होगा, अनुपालन से जुड़ा जोखिम बढ़ेगा और कुल लागत को लेकर भारी अनिश्चितता उत्पन्न होगी। केप्लर के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात जून के मुकाबले घटकर 18 लाख बैरल प्रतिदिन रह गया (जून में यह 21 लाख बैरल प्रतिदिन था)।

यह कमी आंशिक रूप से रिफाइनरियों के रखरखाव और कमजोर मानसून से प्रभावित मांग के कारण भी हो सकती है। सार्वजनिक क्षेत्र की रिफाइनरियों पर इसका प्रभाव अधिक दिख रहा है, जबकि निजी रिफाइनिंग कंपनियां वैकल्पिक स्रोतों से आपूर्ति की दिशा में बढ़ रही हैं।

अमेरिकी तेल पर भारत की निर्भरता बढ़ी

रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल का आयात तेजी से बढ़ाया है। जनवरी से जून 2025 के बीच भारत ने प्रतिदिन औसतन 0.271 मिलियन बैरल अमेरिकी कच्चा तेल खरीदा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 51% अधिक है। अप्रैल-जून तिमाही में यह वृद्धि 114% तक पहुंच गई। सिर्फ जुलाई महीने में ही, जून के मुकाबले 23% अधिक तेल अमेरिका से आया।

इस समय अमेरिका भारत के कुल कच्चे तेल आयात में 8% की हिस्सेदारी रखता है, जो पिछले साल महज 3% थी। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में अमेरिका से तेल आयात का मूल्य 3.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो पिछले साल के मुकाबले दोगुना है।

इसके साथ-साथ भारत ने अमेरिका से एलपीजी और एलएनजी की खरीद भी बढ़ाई है। वित्त वर्ष 2024-25 में एलएनजी आयात 2.46 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक ऊर्जा समझौतों पर बातचीत जारी है, जिससे ऊर्जा साझेदारी और गहराने की उम्मीद है।