बैंकिंग शेयरों की मजबूती से शेयर बाजार में जोरदार उछाल, सेंसेक्स में 540 अंकों की बढ़त, निफ्टी 24,000 के करीब

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बैंकिंग शेयरों की मजबूती से शेयर बाजार में जोरदार उछाल
बैंकिंग शेयरों की मजबूती से शेयर बाजार में जोरदार उछाल

भारतीय शेयर बाजार ने सप्ताह की शुरुआत धमाकेदार अंदाज में की है। सोमवार सुबह के कारोबार में बाजार में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स करीब 300 अंकों की बढ़त के साथ 78,903.09 पर खुला और फिर इसमें मजबूती आती गई। करीब 9:20 बजे सेंसेक्स में 0.60% यानी 472 अंकों की छलांग लगाकर यह 79,025.56 के स्तर पर पहुंच गया।

बाजार की इस तेजी में सबसे बड़ा योगदान आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, सन फार्मा और इंडसइंड बैंक जैसे दिग्गज शेयरों का रहा। खासतौर पर बैंकिंग सेक्टर के शेयरों में मजबूती से बाजार को सहारा मिला है, जिसमें इंफोसिस, एचडीएफसी और आईसीआईसीआई के शेयर शामिल हैं।

वहीं, बीते गुरुवार को बाजार दो दिनों की तेजी के बाद कमजोर शुरुआत के साथ बंद हुआ था। उस दिन सेंसेक्स में करीब 320 अंकों की गिरावट दर्ज की गई थी और निफ्टी 23,350 के नीचे आ गया था। बाजार खुलते ही सेंसेक्स 181 अंक टूटकर 76,862.90 तक गिर गया था, जबकि निफ्टी में लगभग 100 अंकों की गिरावट देखने को मिली थी और यह 23,300 के आसपास कारोबार कर रहा था।

FPI निवेश से बाजार को मिला सहारा

विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की ओर से बीते सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में लगभग 8,500 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जिससे बाजार की धारणा को बल मिला। हालांकि अप्रैल की शुरुआत में FPI की ओर से बिकवाली देखने को मिली थी, लेकिन वैश्विक व्यापार की स्थिरता और भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के चलते निवेशकों का भरोसा लौटा है।

डिपॉजिटरी से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 18 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में कुल 8,472 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश एफपीआई द्वारा शेयर बाजार में किया गया। हालांकि इसमें 15 अप्रैल को की गई 2,352 करोड़ रुपये की निकासी भी शामिल है। इसके बाद के दो सत्रों में उन्होंने कुल 10,824 करोड़ रुपये का निवेश किया।

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर (मैनेजर रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि एफपीआई की गतिविधियों में हालिया तेजी बाजार धारणा में बदलाव का संकेत है, लेकिन यह प्रवृत्ति बनी रहेगी या नहीं, यह वैश्विक आर्थिक स्थिति, अमेरिकी नीतिगत स्थिरता और भारत की आर्थिक प्रगति पर निर्भर करेगा।