ई- कॉमर्स (e-commerce) व्यापार में विदेशी कंपनियां नियमों का खुला उल्लंघन कर रही हैं और कानूनों को तोड़ मरोड़कर भारतीय ई कॉमर्स व्यापार (Indian e commerce business) पर कब्ज़ा करने की कोशिश में लगी हैं। इसके खिलाफ देशभर के व्यापारी एकजुट होकर सरकार से उपभोक्ता कानून के अंतर्गत प्रस्तावित नियमों को तुरंत लागू करने की मांग को लेकर दिल्ली में उपस्थित हुए। राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों के प्रमुख नेताओं ने विदेशी ई कॉमर्स कंपनियों की कड़ी आलोचना करते हुए आगामी 15 सितम्बर से देशभर में एक महीने तक ई कॉमर्स पर हल्ला बोल का एक राष्ट्रीय अभियान चलाने की घोषणा की है। सम्मेलन में देश के 27 राज्यों के लगभग 100 से अधिक व्यापारी नेताओं ने भाग लिया ।
सरकार से पूछेंगे सवाल
कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स ( CAIT) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया (B C Bhartia) एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल (Praveen Khandelwal) ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत देश के सभी राजनीतिक दलों को कैट पत्र भेजकर पूछा जाएगा कि ई कॉमर्स को लेकर उनकी पार्टी का क्या नजरिया है? सभी दलों के जवाब का देश के व्यापारी इंतज़ार करेंगे। इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनावों तथा आगामी लोकसभा चुनावों में व्यापारियों की क्या भूमिका होगी, इस पर समय पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब सब कुछ वोट बैंक पर ही केंद्रित हो गया है तो अब व्यापारी भी अपने आपको एक वोट बैंक में बदलने से नहीं चूकेंगे।
बड़ी कंपनियों से भी करेंगे बात
भरतिया ने बताया यह विदेशी ई कॉमर्स कंपनियां ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में काम कर रही हैं, जिससे देश के रिटेल बाजार, ई कॉमर्स व्यापार सहित देश की अर्थव्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। इस दृष्टि से अब यह जरूरी हो गया है कि व्यापारी संगठनों के अलावा देश में व्यापारियों के जरिये काम कर रही बड़ी कंपनियों जैसे Tata, Godrej, Reliance, Hindustan Lever, Patanjali ,Kishore Biyani Group, Aditya Birla Group, Amway, Shriram Group, Piramal Group, Coca Cola सहित अन्य बड़ी कॉर्पोरेट कंपनियों के साथ मिलकर एक साझा मंच बनाया जाए।
वहीं देश के रिटेल व्यापार के विभिन्न नामचीन विशेषज्ञ जैसे Swami Ramdev, Suhail Seth, S. Gurumurthy and transport organizations All India Transport Welfare Association, Hawkers Association National Hawkers Federation, Farmers’ Organization All India Kisan Manch, Laghu Udyog Bharti, Swadeshi Jagran Manch, National MSME Forum, उपभोक्ताओं के संगठन अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत सहित अर्थव्यवस्था के अन्य वर्गों के प्रमुख संगठनों को भी इस अभियान से जोड़कर एक बृहद मंच कैट की पहल पर तुरंत बनाया जाएगा और अब सामूहिक रूप से इस लड़ाई को देश भर में लड़ा जाएगा ।
देश का पैसा देश में रहे
भरतिया एवं खंडेलवाल ने कहा कि भारत का व्यापार भारत में ही रहना चाहिए और उसका लाभ भी देश के उपभोक्ताओं, व्यापारियों एवं उद्योग को मिलना चाहिए। इस दृष्टि से निर्णय लिया गया है कि यह एक बड़ी लड़ाई है और किसी भी विदेशी कम्पनी को ईस्ट इंडिया कम्पनी (East India Company) बनने से रोकने में देश के सभी वर्गों को अब एक मंच पर लाना जरूरी है, तभी देश के ई कॉमर्स एवं रिटेल व्यापार को इन विदेशी कंपनियों के चंगुल से बचाया जा सकता है। कैट इस मुद्दे पर पहल करते हुए इन सभी कंपनियों के प्रमुखों एवं संगठनों के नेताओं से बात कर एक साझा देशव्यापी अभियान चलाएगा।
खंडेलवाल ने कहा की सरकार द्वारा बनाये गए ई कॉमर्स के नियम स्वदेशी अथवा विदेशी सभी ई कॉमर्स कंपनियों पर समान रूप से लागू होने चाहिए, जिससे कोई भी कम्पनी ई कॉमर्स व्यापार को अपना बंधक न बना सके।
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