Taliban ने अफगानिस्तान (Afghanistan) की सत्ता में आने के बाद महिलाओं के लिए नियम-कानून बेहद कठोर कर दिए हैं। तालिबान अफगानिस्तान पर शरिया कानून (Sharia law) के तहत शासन चलाना चाहता है, 20 सालों के संघर्ष के बाद मिलें महिलाओं को तमाम अधिकार एक झटते में तालिबान ने छीन लिए गए हैं।
साल 2001 में तालिबानी शासन के दौरान महिलाओं ने बहुत कुछ सहा और एक बार फिर से उन्हीं नियमों को महिलाओं पर थोप दिया गया है। हालांकि तालिबान ने कहा था कि वह महिलाओं को तमाम अधिकार देगा, लेकिन सत्ता में आने के बाद तालिबान इससे मुकर गया।
महिलाओं के लिए तालिबान के 10 नियम
- महिलाएं सड़कों पर अकेले नहीं निकल सकतीं, करीबी रिश्तेदार साथ होना जरूरी।
- महिलाओं के लिए बाहर निकलने पर बुर्का पहनना जरूरी।
- महिलाएं हाई हील्स न पहनें।
- सार्वजनिक जगहों पर महिला की आवाज़ सुनाई न दे।
- ग्राउंड फ्लोर के घरों में खिड़कियां पेंट होनी चाहिए, जिससे महिलाएं दिखाई न दें।
- महिलाएं तस्वीर नहीं खिंचवा सकती हैं, उनकी तस्वीरें अखबारों, किताबों और घर में नहीं दिखनी चाहिए।
- महिला शब्द को किसी भी जगह के नाम से हटा दिया जाए।
- घर की बालकनी या खिड़की पर महिलाएं ना दिखें।
- सार्वजनिक कार्यक्रम का हिस्सा महिलाएं न हों।
- महिलाएं नेल पेंट न लगाएं, मर्जी से शादी नहीं कर सकतीं।
तालिबान के ये फरमान न मानने पर मिलेगी सजा
महिलाओं ने अगर तालिबाम के बनाए नियमों की अवहेलना कि तो उन्हें सज़ा का सामना करना पड़ेगा। तालिबान द्वारा सजा के तौर पर महिलाओं की सार्वजनिक बेइज्ज़ती और पीट-पीटकर मारना आम बात है। अवैध संबंधों के लिए महिलाओं को सार्वजनिक तौर पर मारा जाता है तो वहीं कोई लड़की अरेंज मैरिज से भागती है तो उसकी नाक और कान काटकर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। नेल पेंट लगाने पर उंगलियां काट दी जाती है।
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